देश-प्रदेश

संसद को फैसला करने दीजिए- Same Sex Marriage को लेकर SC के सामने अड़ी केंद्र सरकार

नई दिल्ली: सेम सेक्स मैरिज यानी समलैंगिक विवाह पर कानूनी अधिकार देने को लेकर इस समय सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. जहां बुधवार (25 अप्रैल) को भी याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार के बीच समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के बीच दलीलें जारी रहीं. समलैंगिक शादियों को लेकर भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र की ओर से शहरी एलीट क्लास वाला तर्क केवल पूर्वाग्रह है जिसका कोई असर नहीं है. अदालत इस मामले में ऐसे तर्कों से किस प्रकार फैसला करेगी.

शहरी एलीट क्लास का दृष्टिकोण

उधर केंद्र सरकार इस मुद्दे को लेकर अड़ी हुई है. जहां बुधवार को शीर्ष अदालत के सामने केंद्र सरकार ने कहा इस मुद्दे की जटिलता और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए इसे संसद पर छोड़ देना चाहिए। बता दें, इससे पहले, अपने आवेदन में सरकार ने कहा था कि इस विषय पर याचिकाकर्ताओं की तरफ से अदालत में जो दलीलें दी गई हैं वह सिर्फ शहरी एलीट क्लास का दृष्टिकोण है और सक्षम विधायिका को विभिन्न वर्गों के व्यापक विचारों को ध्यान में रखना होगा ।

वैध शादी को लेकर केंद्र ने उठाए सवाल

समान लिंग विवाह मामले में केंद्र ने अपनी दलीलें शुरू करते हुए कहा कि इस विषय की जटिलता और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए इस मुद्दे को संसद पर छोड़ देना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि असली सवाल ये बनता है कि आखिर वैध शादी क्या है? और किसके बीच होती है, इस पर कौन फैसला करेगा? मेहता अपनी दलीलों में उन कानून और प्रावधानों का उल्लेख करते हैं जिनका समाधान संभव नहीं है जहां मेहता का कहना है कि करीब 160 कानून और कानून के प्रावधान सेम सेक्स मैरिज की इजाजत देते हैं वो खुद भी आपस में मेल नहीं कहते हैं.

 

ट्रांसजेंडरों के अधिकारों का जिक्र

मेहता ने तर्क दिया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को संसद ने बहुत व्यापक रूप से परिभाषित किया है, ताकि सभी रंगों और सभी तरह के लोग हो सके. इसे हम एलजीबीटीक्यू + कहते हैं जिसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 2 (के) ट्रांसजेंडरों को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जिसका लिंग जन्म के समय उस व्यक्ति ने स्वाभाविक लिंग से मेल नहीं खाता हो. इसमें ट्रांस-पुरुष या ट्रांस-महिलाओं को शामिल किया गया है.

मेहता ने कहा कि यह मामला कामुकता से जुड़ा हुआ नहीं है लेकिन समलैंगिक, ट्रांसजेंडर आदि समुदायों में कामुकता का पहलू शामिल होता है लिंग का नहीं. शादी के अधिकार में विवाह की परिभाषा बदलने के लिए मेहता का तर्क है कि संसद को किसी मामले में बाध्य करने का अधिकार शामिल नहीं है.

यह भी पढ़ें-

Ateeq-Ashraf Murder: आखिरी बार 7-8 दिन पहले घर आया था आरोपी लवलेश तिवारी, पिता ने कहा हमसे कोई मतलब नहीं

बड़ा माफिया बनना चाहते थे तीनों शूटर्स, पहले भी किए थे कई सारे मर्डर, जानिए अतीक को मारने वालों की

Riya Kumari

Recent Posts

ड्रैगन हुआ ताकतवर, 600 परमाणु बम ने बढ़ाई भारत-अमेरिका की चिंता, 2030 तक के आंकड़े खतरनाक!

अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यह वृद्धि 2020 की तुलना…

21 minutes ago

वेब सीरीज आश्रम 4 पर बड़ा अपडेट, OTT पर इस दिन होगी रिलीज

प्रकाश झा द्वारा निर्देशित वेब सीरीज आश्रम 2020 में बॉबी देओल मुख्य भूमिका में नजर…

9 hours ago

भव्य महाकुंभ के मेले में अखाड़ा और पेशवाई का क्या योगदान होता है ?

भव्य महाकुंभ के मेले दुनियाभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दौरान त्रिवेणी संगम पर आस्था…

9 hours ago

किशोर ने किन्नरों पर लगाया लिंग परिवर्तन कराने का आरोप, पढ़कर दंग रह जाएंगे आप

उत्तर प्रदेश के इटावा में एक किशोर को जबरन किन्नर बनाने का मामला सामने आया…

9 hours ago

मैं इस्तीफा तो दे दूंगा लेकिन… अंबेडकर विवाद पर शाह ने कर दी विपक्ष की बोलती बंद!

गृह मंत्री शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष के इस्तीफा मांगने वाली मांग का भी जवाब दिया।…

9 hours ago

छात्र पीएम नरेंद्र मोदी से कर सकेंगे बात, जल्दी रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें

परीक्षा पे चर्चा 2025' के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के इच्छुक छात्र 14 जनवरी 2025 तक…

10 hours ago