नई दिल्ली: हाल ही में कोलकाता में हुए बलात्कार और हत्या मामले के बाद डॉक्टरों द्वारा सुरक्षित कार्यस्थल के लिए केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम की मांग हो रही है। आंदोलन को देखते हुए, केंद्र ने सोमवार (19 अगस्त, 2024) को केंद्र सरकार के सभी अस्पतालों में सुरक्षा 25% बढ़ाने का तो आदेश पारित किया परंतु केन्द्रीय […]
नई दिल्ली: हाल ही में कोलकाता में हुए बलात्कार और हत्या मामले के बाद डॉक्टरों द्वारा सुरक्षित कार्यस्थल के लिए केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम की मांग हो रही है। आंदोलन को देखते हुए, केंद्र ने सोमवार (19 अगस्त, 2024) को केंद्र सरकार के सभी अस्पतालों में सुरक्षा 25% बढ़ाने का तो आदेश पारित किया परंतु केन्द्रीय अधिनियम को लेकर उनका कहना है कि इसकी जरूरत नहीं है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “हिंसा के मामले में संस्थागत एफआईआर, सीसीटीवी समेत अतिरिक्त सुरक्षा अस्पतालों को जारी की गई सुविधाओं का हिस्सा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारी ड्यूटी के दौरान सुरक्षित रहें। जब प्रावधान पहले से मौजूद हैं तो केंद्रीय अधिनियम की जरूरत नहीं है। उनका उचित क्रियान्वयन समय की मांग है।”
आपको बता दें कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की सुरक्षा के लिए कानून पारित किए हैं। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु आदि शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अधिकांश राज्य अधिनियमों में स्वास्थ्य सेवा कर्मियों में डॉक्टर, नर्स, मेडिकल और नर्सिंग छात्र और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं। इसके अलावा, हिंसा, डॉक्टर को नुकसान, चोट, जीवन को खतरे में डालने की धमकी देने, स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की ड्यूटी निभाने की क्षमता में बाधा डालने और स्वास्थ्य सेवा संस्थान में संपत्ति को नुकसान या क्षति पहुंचाने वाली गतिविधियों को अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है, जो गैर जमानती है।
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