नई दिल्लीः भ्रामक विज्ञापन करने वाली सेलेब्रिटीज़ पर अब तीन साल के लिए प्रतिबंध और 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लग सकता है. उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2018 पेश किया था, जिसमें ये प्रावधान किए गए हैं. इन प्रावधानों में यह भी उल्लेखित है कि ऐसे विज्ञापन के लिए निर्माताओं और सर्विस प्रोवाइडर्स पर 50 लाख रुपये तक जुर्माने के अलावा उन्हें पांच साल कैद की सजा भी हो सकती है. भ्रामक विज्ञापन करने वाले सेलिब्रिटीज़ के लिए इस बिल को सरकार की ओर से सख्त चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है.
दरअसल कई बार सेलिब्रिटीज़ ऐसे विज्ञापन करते हैं जिनसे संबंधित कंपनियां तो मुनाफा कमा लेती हैं लेकिन लोगों के बीच प्रोडक्ट को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है अथवा उनपर शारीरिक रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं. जानी-मानी हस्तियों द्वारा भ्रामक विज्ञापनों पर नकेल कसने के लिए ही कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल, 2018 लाया जा रहा है. विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद यह 31 साल पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 की जगह ले लेगा. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि इस बिल का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य भ्रामक विज्ञापनों पर नकेल कसना ही है.
बताते चलें कि इस बिल में सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) के गठन का प्रस्ताव है. अथॉरिटी भ्रामक विज्ञापन करने वाले सेलेब्रिटीज़, एडवरटाइजर और पब्लिशर के साथ-साथ ट्रेडर्स और मैन्युफैक्चरर्स से उस विज्ञापन को बंद करने या उसमें संशोधन के लिए कह सकती है. बिल के मुताबिक, पहली गलती पर सेलेब्रिटी और मैन्युफैक्चरर पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके बाद फिर से नियमों का उल्लंघन करने पर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा. वहीं पहली गलती पर सेलेब्रिटी के विज्ञापन करने पर एक साल के लिए रोक लगाई जा सकती है. इसके बाद प्रतिबंध की अवधि तीन साल तक हो सकती है.
गौरतलब है कि इस संबंध में मौजूदा कानून साल 1986 में लागू किया गया था. सरकार ने तर्क दिया कि ई-कॉमर्स, डायरेक्ट सेलिंग और टेली-मार्केटिंग की चुनौतियों से निपटने के लिए नया कानून जरूरी है. सरकार का यह भी कहना है कि अब बाजार काफी बदल चुका है और ऐसे में नए कानून की जरूरत महसूस हो रही है. पार्लियामेंट स्टैंडिंग कमेटी ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल, 2015 को लेकर भ्रामक विज्ञापन करने वाले सेलिब्रिटीज़ और संबंधित लोगों पर जुर्माने और जेल का प्रावधान रखने का सुझाव दिया था. जिस पर सरकार ने सेलिब्रिटीज़ को जेल भेजे जाने की सिफारिशों पर असहमति जताते हुए उन पर तीन साल के बैन लगाए जाने पर हामी भरी.
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