नई दिल्लीः नए साल के आने में अब 48 घंटे से भी कम समय बचा है। लोग नए साल के जश्न की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन उससे पहले ही नए साल की बधाई और जश्न को लेकर बरेली से एक फतवा जारी हुआ है। इसमें नए साल का जश्न मनाना नाजायज बताया गया है और नए साल की बधाई देना भी इस्लाम के खिलाफ बताया गया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (एआईएमजे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने फतवा जारी करते हुए कहा कि यह ईसाइयों का नया साल है न कि इस्लामी नया साल। फतवे में कहा गया है कि नया साल जनवरी में शुरू होता है, जो अंग्रेजों यानी ईसाइयों का नया साल है। ईसाइयों का एक धार्मिक कार्यक्रम होता है जिसे वे हर साल के पहले दिन मनाते हैं। इसमें वे अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित करते हैं, यह पूरी तरह से ईसाइयों का “धार्मिक शियार” (धार्मिक कार्यक्रम) है, इसलिए मुसलमानों के लिए नए साल का जश्न मनाना वैध नहीं है। इस्लाम ऐसे कार्यक्रमों पर सख्त पाबंदी लगाता है।
मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन ने फतवे में कहा है कि नए साल का जश्न मनाना, एक-दूसरे को शुभकामनाएं देना, पटाखे फोड़ना, ताली बजाना, शोर मचाना, सीटी बजाना, लाइट बंद करके फिर से जलाना, नाचना, गाना, शराब पीना, जुआ खेलना, एक-दूसरे को शुभकामनाएं देने के लिए मोबाइल व्हाट्सएप पर संदेश भेजना, ये सभी गतिविधियां इस्लामी शरीयत के अनुसार अवैध हैं।
फतवे में मुसलमानों से कहा गया है कि वे दूसरों के धार्मिक त्योहारों में भाग लेने, उन्हें खुद मनाने या उनके जश्न को देखने से बचें और दूसरे मुसलमानों को भी ऐसा करने से रोकें। अगर कोई व्यक्ति ऐसा गैर-शरीयत काम करता है, तो वह घोर पापी होगा। मुसलमानों को शरीयत के खिलाफ कुछ भी नहीं करना चाहिए।
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