नई दिल्ली. भ्रष्टाचार और घूस के आरोप में फंसे सीबीआई के दूसरे नंबर के अधिकारी राकेश आस्थाना ने मामला सामने आने से पहले एक जांच शुरु की थी. ये जांच भगोड़े विजय माल्या के देश छोड़ने के मामले में जारी लुकआउट नोटिस के स्तर कम करने से जुड़ी थी. नोटिस का स्तर कम करने के बारे में मुंबई पुलिस को सूचित किया गया जबकि इसके लिए ब्यूरो ऑफ इमिग्रेश (बीओआई) को सूचित करना काफी था. अस्थाना और उनकी स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम को माल्या का मामला दिया गया था लेकिन सीबीआई डारेक्टर आलोक वर्मा ने इस केस से जुड़े सभी मामलों से अस्थाना को हटा दिया.
खबर है कि लुक आउट नोटिस के स्तर को कम करने का काम गुजरात कैडर के एडिशनल डॉयरेक्टर एके शर्मा की निगरानी में हुआ था. इसके बाद राकेश अस्थाना ने एके वर्मा के खिलाफ अलग शिकायत की थी. जिसमें कहा गया था कि सीबीआई में बैंक, सिक्योरिटी और फ्रॉड मामले डिविजन की देखरेख करने वाले एके शर्मा केस की जांच कर रहे हैं. गौरतलब है कि सीबीआई ने आधिकारिक तौर पर लुक आउट नोटिस के स्तर को कम करने की बात कबूली थी लेकिन अन्य आरोपों को खारिज कर इसे ‘इरर ऑफ जजमेंट’ कहा था.
माल्या के खिलाफ 23 नवंबर 2015 को लुकआउट नोटिस के स्तर को कम करते हुए ‘हिरासत में लेने’ की जगह ‘सिर्फ सूचना देने’ के लिए कर दिया गया था ताकि सीबीआई अलर्ट रहे लेकिन माल्या को रोका नहीं जाए. बता दें कि मीट व्यापारी मोईन कुरैशी से जुड़े एक मामले में घूसखोरी को लेकर कई बड़े अधिकारियों पर सवाल खड़े होने लगे थे. कार्मिक मंत्रालय ने आदेश जारी कर वर्मा की जगह नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर नियुक्त कर दिया.
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