इस मामले में सरोजा जो 26 अगस्त 2013 से एक जून 2016 तक चीफ मैनेजर रहीं, ने 18 कर्जदारों को लोन दिया. उन पर बिचौलिये श्रीनाथ से मिलीभगत का भी आरोप है.
चेन्नई. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रविवार को कहा कि उसने बैंक धोखाधड़ी का एक नया मामला दर्ज किया है, जिसमें यूको बैंक ने 2013 और 2016 में रियायती ब्याज दरों पर आवास व संपत्ति कर्ज के विभिन्न स्कीमों के तहत 18 फर्जी कर्जदारों को 19.03 करोड़ रुपये लोन दिया. यूको बैंक की ओर से 27 मार्च को मिली शिकायत पर एजेंसी ने मामला दर्ज किया. सीबीआई ने 29 मार्च को पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कि जिनमें यूको बैंक की जयानगर स्थित शाखा के ब्रांच मैनेजर भी शामिल हैं. अन्य आरोपियों में बिचौलिया बी. एस. श्रीनाथ, बैंक के तीन मूल्य निर्धारक- जंबुनाथ और बेंगलुरु की दो कंपनियों के मालिक गोपीनाथ आर. अग्निहोत्री और एन. वेंकटेश
शामिल हैं.
यह था मामला: आरोप है कि सरोजा ने बतौर चीफ मैनेजर 26 अगस्त 2013 और एक जून 2016 के बीच 18 कर्जदारों को आवास व संपत्ति से संबंधित कर्ज मंजूर व वितरित किए. सरोजा पर बिचौलिया श्रीनाथ के साथ मिलीभगत का आरोप है, जिसने बैंक की स्कीमों के तहत कर्ज के लिए कुछ आवेदन किए थे और आवेदन के साथ कर्जदारों की आय के प्रमाण पत्र के तौर पर फर्जी व जाली दस्तावेज लगा दिया.
एफआईआर के मुताबिक, “आरोपियों ने उसके बाद भवन योजना, लाइसेंस व जमीन का दस्तावेज बैंक को सौंप दिया. सरोजा पर इन दस्तावेजों को असली के तौर पर स्वीकार करने और आवेदकों को कर्ज मंजूर करने का आरोप है.” बाद में कर्जदारों ने कर्ज की राशि बैंक से निकाल लिया और उन्होंने पैसे का उपयोग जिस काम के लिए रियायती ब्याज दरों पर कर्ज लिया गया था उसमें न कर किसी और काम में कर लिया. इस तरह यूको बैंक को उन्होंने 19.30 करोड़ रुपये की चपत लगाई. आरोप है कि अग्निहोत्री, जंबुनाथ और वेंकटेश ने बढ़ाकर मूल्य का आकलन किया था.
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