CBI Feud: पिछले कुछ दिनों से सीबीआई के दो प्रमुख अधिकारियों राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा के बीच चल रहा घमासान आखिर कहां से शुरु हुआ? दरअसल अक्टूबर 2017 में दोनों अधिकारियों के बीच तनाव की स्थिति पहली बार दिखाई पड़ी. तब सीवीसी की एक मीटिंग के दौरान वर्मा ने अस्थाना को सीबीआई के स्पेशल निदेशक बनाए जाने का विरोध किया था.
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने सीबीआई में घमासान की जांच किए जाने के नाम पर बुधवार को तत्काल प्रभाव से एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया है. साथ ही एम नागेश्वर राव को एजेंसी के अंतरिम प्रमुख के रूप में नियुक्त कर दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट में निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से जुड़े हाई वोल्टेज ड्रामा के एक दिन बाद राव को अंतरिम सीबीआई प्रमुख नियुक्त किया गया.
-अस्थाना और वर्मा के बीच साल अक्टूबर 2017 में तनाव की स्थिति पहली बार दिखाई पड़ा. तब सीवीसी की एक मीटिंग के दौरान वर्मा ने अस्थाना को सीबीआई के स्पेशल निदेशक बनाए जाने का विरोध किया था. वर्मा का मानना था कि अस्थाना ने अपनी सिफारिश से अधिकारियों को साथ शामिल किया था. पैनल ने वर्मा की आपत्ति को खारिज कर दिया और अस्थाना को बतौर विशेष निदेशक नियुक्त किया. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी अस्थाना को क्लीन चिट दे दी.
-साल 2018 में 12 जुलाई को, वर्मा विदेश में थे, सीवीसी ने सीबीआई में पदोन्नति पर चर्चा करने के लिए एक बैठक बुलाई जिसमें अस्थाना को एजेंसी में नंबर 2 के रूप में आमंत्रित किया गया था. इसको लेकर वर्मा ने सीवीसी को पत्र लिखा कि उन्होंने अपनी तरफ से बैठकों में भाग लेने के लिए अस्थाना को अधिकृत नहीं किया है.
-साल 2018 में 24 अगस्त को, अस्थाना ने सीवीसी और कैबिनेट को सचिव को वर्मा, उनके दाहिना हाथ माने जाने वाले अतिरिक्त निदेशक एके शर्मा और कई आरोपियों को बचाने के उनके प्रयासों के कथित भ्रष्टाचार का विवरण दिया. अस्थाना ने दावा किया कि हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू साना ने माईन कुरेशी मामले में खुद को बचाने के लिए वर्मा को 2 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी.
– वहीं पिछले हफ्ते, अस्थाना ने फिर से सीवीसी और कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर कहा कि वह पिछले महीने साना को गिरफ्तार करना चाहते थे लेकिन वर्मा ने प्रस्ताव को रद्द कर दिया. उन्होंने दावा किया कि इस साल फरवरी में जब उनकी टीम ने साना से सवाल करने की कोशिश की, तो उन्हें वर्मा की ओर से ऐसा करने का निर्देश नहीं मिला.
– इस बीच वर्मा ने दिल्ली सरकार के मामले, आईआरसीटीसी घोटाले और पी चिदंबरम के खिलाफ मामले सहित महत्वपूर्ण जांचों को अस्थाना के हाथ से लिया था और एके शर्मा को सौंप दिया. इसके अलावा अस्थाना के स्टाफ अधिकारी को भी ट्रांस्फर कर दिया.
-15 अक्टूबर 2018 को सीबीआई ने साना से 3 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के लिए अस्थाना के खिलाफ मामला दायर किया था.
-मंगलवार को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई को एजेंसी के विशेष निदेशक अस्थाना के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही पर स्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया और एक ट्राइल कोर्ट द्वारा गिरफ्तार किए गए एक मध्य-स्तर के अधिकारी को रिश्वत के आरोपों पर सात दिन के रिमांड में भेजा.
-आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना दोनों ने 24 अक्टूबर को छुट्टी पर भेज दिया गया.
बता दें कि सीबीआई में शीर्ष अधिकारियों के बीच जारी संघर्ष के मामले में केंद्र सरकार ने दखल देते हुए जांच एजेंसी के चीफ आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया है. इस कार्रवाई को लेकर जब विपक्ष ने सवाल उठाया को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि- सीबीआई के दो प्रमुख अधिकारी आरोपी हैं तो जांच कौन करेगा? सरकार तो जांच नहीं कर सकती. ऐसे में निष्पक्ष जांच की जरूरत है. ऐसे में सीवीसी की निगरानी में ऐसी एसआईटी ये जांच करेगी जो कि दोनों में से किसी अधिकारी के भीतर काम न करती हो.