CBI Feud: पिछले कुछ दिनों से सीबीआई में भ्रष्टाचार के आरोपों से मचे बवाल को सुलझाने के लिए सबसे पहले दोनों प्रमुख अधिकारियों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया. इसके बाद अंतरिम निदेशक नियुक्त हुए नागेश्वर राव के रिकार्ड की बात करें तो वह भी कुछ ठीक नहीं है.
नई दिल्ली. केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद से सीवीसी ने एजेंसी के दोनों प्रमुख अधिकारियों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया. इसके बाद नागेश्वर राव को बतौर अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया. लेकिन नागेश्वर राव की बात करें तो उनका रिकार्ड विचित्र रहा है.
2015 में अनिल सिन्हा सीबीआई के अध्यक्ष थे जब नागेश्वर राव एजेंसी में शामिल हुए. एजेंसी की काउंटर-इंटेलिजेंस यूनिट या स्पेशल यूनिट के प्रमुख अमिताभ सिंह ढिल्लों ने राव को लेकर रिपोर्ट पेश की – उन्होंने कहा कि राव पर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें शामिल नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही कहा कि राव की राजनीतिक दलों के साथ कथित निकटता भी उन्हें शामिल न किए जाने का आधार है. हालांकि, अनिल सिन्हा और सरकार द्वारा इस मूल्यांकन को नजरअंदाज कर दिया गया था.
राव पर भ्रष्टाचार के आरोप चेन्नई स्थित फर्म वीजीएन डेवलपर्स द्वारा भारतीय स्टेट बैंक की भूमि की खरीद से संबंधित थे. शिकायत के मुताबिक राव – जो तत्कालीन चेन्नई जोन प्रमुख थे. उन्होंने राजकोष को नुकसान पहुंचाने के बावजूद आरोपी को नहीं हटाया था. डीएमके नेता एमके स्टालिन ने सीबीआई निदेशक पद के लिए उन्हें हटाने की आलोचना करते हुए यह एक कारण था. हालांकि, यह राव के खिलाफ दायर एकमात्र शिकायत नहीं है.