रांची. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले से जुड़े दुमका ट्रेडरी मामले में सजा सुनाते हुए सीबीआई कोर्ट ने बेहद तल्ख टिप्पणियां कीं. कोर्ट ने कहा कि लालू यादव ने राजनीति में आने के बाद भ्रष्टाचार की धारा खोल दी. आरोपी ने अवैध तरीके से ढेर सारे पैसे कमाकर अपनी पार्टी खड़ी कर दी और खुद उसके सर्वेसर्वा बन गए. सीबीआई जज शिवपाल सिंह ने दो मामलों में 7-7 साल की अलग-अलग सजा सुनाते हुए ये टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि लालू यादव ने भ्रष्ट अधिकारियों को सुरक्षा दी.
कोर्ट ने कहा कि लालू यादव ने भारतीय संविधान की शपथ लेने के बावजूद कभी भी इसकी शुचिता को बनाकर नहीं रखा. लालू प्रसाद यादव ने कई ज़िलों से ट्रेज़री से सरकारी धन को गलत ढंग से निकाला और जिन लोगों ने इसमें उनका साथ दिया उनको गलत तरीके से प्रोटेक्शन दिया. कोर्ट ने कहा कि 1990 से 1997 के बीच जब गलत तरीके से ज़्यादा मात्रा में पशु विभाग से पैसा निकाला गया तो उस समय लालू मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री दोनों थे.
कोर्ट ने कहा कि इस दौरान वित्त सचिव के पद पर ऐसे व्यक्ति को नियुक्त किया गया जिसने कि लालू यादव के मौखिक आदेशों का पालन किया. कोई भी वित्त सचिव 1996 तक इस मामले में मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटा सका. इस केस का लंबे समय तक निर्णय न होने का कारण बताते हुए कोर्ट ने कहा कि लालू यादव ने आपराधिक मामलों के निपटान में भी बाधाएं पैदा कीं जिसकी वजह से केस 20 सालों तक लटका रहा और ये पॉलिटिकल पावर का आनंद लेते रहे.
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