CBI Alok Verma Case: गुरुवार 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के मामले को लेकर तीखी बहस हुई. फिलहाल विवाद के बाद नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजे गए आलोक वर्मा को कोर्ट से राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को करेगा.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के मामले को लेकर तीखी बहस हुई. शीर्ष अदालत से फिलहाल वर्मा को राहत नहीं मिली है. मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी. छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर के खिलाफ जांच हो या वह काम पर वापस लौटें, सुप्रीम कोर्ट को इसी का फैसला करना है. नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजे जाने को वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिक केएम जोसेफ और जस्टिस संजय किशन कौल की अगुआई वाली बेंच सीबीआई डायरेक्टर द्वारा बंद लिफाफे में दिए जवाब पर भी सोच-विचार कर सकती है.
वर्मा की ओर से पेश वकील फाली नरीमन ने कहा कि सीबीआई डायरेक्टर को सिर्फ वही पैनल हटा सकता है, जिसने उसकी नियुक्ति की है. सरकार द्वारा उन्हें हटाए जाने के फैसले का कोई आधार नहीं है. नरीमन ने कहा, कमिटी की इजाजत के बिना सरकार के फैसले के कोई मतलब नहीं है. 1 फरवरी 2017 को वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर नियुक्त किया गया था.
नरीमन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, ”सीबीआई डायरेक्टर का कार्यकाल दो साल का होता है और उनका ट्रांसफर भी नहीं किया जा सकता.” इस पर जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा, “अगर सीबीआई डायरेटक्टर घूस लेते रंगे हाथ पकड़े जाएं तो?” इस पर नरीमन ने कहा, ”एेसे में केंद्र सरकार को कोर्ट या कमिटी के पास जाना चाहिए.”
मोदी सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि वर्मा अब भी सीबीआई डायरेक्टर हैं और पद से जुड़े सभी फायदे उन्हें मिल रहे हैं. ऐसा कोई आधार नहीं है, जिससे कहा जा सके कि उनका ट्रांसफर कर दिया गया है. मीडिया में रिपोर्ट लीक हो जाने के बाद नाराज सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को केस की सुनवाई करने से मना कर दिया था. इस मामले में आलोक वर्मा और उनकी डिप्टी राकेश अस्थाना ने एक-दूसरे पर घूसखोरी के आरोप लगाए हैं.