नई दिल्लीः बिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद मानों अब जाति आधारित गणना करने की होड़ लग गई हो। बता दें एक दिन पहले यानी 2 अक्टूबर को बिहार सरकार ने जातिय गणना की रिपोर्ट पेश किया था। अब सूर मिलाते हुए कर्नाटक कांग्रेस के कद्दावर नेता वीरप्पा मोइली ने मांग […]
नई दिल्लीः बिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद मानों अब जाति आधारित गणना करने की होड़ लग गई हो। बता दें एक दिन पहले यानी 2 अक्टूबर को बिहार सरकार ने जातिय गणना की रिपोर्ट पेश किया था। अब सूर मिलाते हुए कर्नाटक कांग्रेस के कद्दावर नेता वीरप्पा मोइली ने मांग की है सिद्धारमैया के नेतृतव वाली सरकार के द्वारा कराए गए जाति गणना को सार्वजानिक करना चाहिए। बता दें कि सिद्धारमैया के पिछले कार्यकाल( 2013-18) के दौरान जातिगत जनगणना कराई गई थी। वीरप्पा मोइली पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रह चुके है।
क्या बोलें वीरप्पा मोइली
पूर्व केंद्रीय कानुन मंत्री ने कर्नाटक सरकार से मांग की है कि जातिगत जनगणना के आंकड़े और लगभग पांच साल पहले तैयार हुई रिपोर्ट सार्वजानिक की जाए। उन्होंने कहा कि कर्नाटक स्टेट बैकवर्ड ने एच कंथाराज की अध्यक्षता में जाति आधारित जनगणना कराई थी। उन्होने कहा कि कंथाराम कमीशन की तरफ से बाद में जनगणना की रिपोर्ट सरकार के पास जमा कराई गई थी। उन्होंने कहा की तीन- तीन पूर्व सीएम बीएस येदुरप्पा, एचडी कुमारस्वामी और बसवाराज बोम्मई के पास रिपोर्ट थी
बीजेपी और जेडीएस पर साधा निशाना
वीरप्पा मोइली ने आगे कहा कि कंथाराज आयोग की रिपोर्ट पिछले साल जारी होने के वाबजूद भाजपा और जेडीएस आधारित सरकार ने जाति आधारित गणना नहीं कराई। यही कारण है कि दोनों दलों ने कमीशन की रिपोर्ट रिलीज नहीं कराई। आगे उन्होंने कहा की कांग्रेस की सरकार जब भी सत्ता में आती है, हम पिछड़ी जाति के लोगों का कल्याण करने की हरसंभव कोशिश करते है। बता दें कि वीरप्पा मोइली कर्नाटक के पूर्व सीएम भी रह चुके है।