नई दिल्ली: देश में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध सबसे बड़ा चिंता का विषय है, लेकिन यह चिंता और बढ़ जाती है जब हमे पता चलता है कि समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले और न्याय दिलाने वाले नेता खुद संगीन अपराधों में लिप्त है। इसके बावजूद उनके जीवन पर कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने जिनका शोषण किया, उन महिलाओं की आवाज कौन उठाएगा, वो किससे न्याय मांगे?
सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने सांसदों और विधायकों के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण करने के बाद एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें दावा किया है कि हमारे 151 जनप्रतिनिधि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों का सामना कर रहे हैं। इनमें से 16 पर सीधे तौर पर बलात्कार के मामले दर्ज हैं।
ये आंकड़े सिर्फ उन जनप्रतिनिधियों के हैं जिनके खिलाफ मामले दर्ज हैं। ऐसे दागी नेताओं की वास्तविक संख्या का अंदाजा ही लगाया जा सकता है जिनके आपराध के किस्से सिर्फ जुबान पर हैं लेकिन कोई भी मामला दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।
रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों का सामना कर रहे जनप्रतिनिधियों में सबसे ज्यादा संख्या भाजपा की है, जिसके 54 नेताओं पर मामले दर्ज हैं। इसके बाद कांग्रेस के 23 और टीडीपी के 17 सांसद और विधायक भी दागदार हैं।
एडीआर ने 2019 से 2024 के बीच चुनावों के दौरान भारत के चुनाव आयोग को सौंपे गए मौजूदा सांसदों और विधायकों के 4,809 हलफनामों में से 4,693 की जांच की। संगठन ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों का सामना कर रहे 16 सांसदों और 135 विधायकों की पहचान की।
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