मुंबई/नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुटों के बीच चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना पार्टी और सिंबल एकनाथ शिंदे गुट को दिए जाने के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उद्धव गुट की याचिका […]
मुंबई/नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुटों के बीच चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना पार्टी और सिंबल एकनाथ शिंदे गुट को दिए जाने के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उद्धव गुट की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार भी हो गया है. 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा.
उद्धव गुट की याचिका में सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग के फैसलों को रद्द करने की मांग की गई है. उद्धव ठाकरे गुट का कहना है कि विधायक दल में हुई टूट को चुनाव आयोग ने पार्टी की टूट कहा है जो गलत है. चुनाव आयोग का शिंदे गुट को शिवसेना पार्टी और उसका चुनाव चिन्ह सौंपने का फैसला कई सारी कानूनी गलतियों से भरा हुआ है. आयोग ने सिंबल ऑर्डर के पैराग्राफ 15 के तहत मिली हुई शक्ति का गलत इस्तेमाल किया है.
उद्धव ठाकरे गुट द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में आगे कहा गया है कि साल 2018 में शिवसेना पार्टी का संविधान को बदला गया था, जिसके तहत पार्टी प्रमुख को काफी शक्तियां प्रदान की गई थीं. लेकिन चुनाव आयोग ने इसे मानने से इनकार कर दिया और कहा कि उसे आधिकारिक तौर पर संविधान में बदलाव की जानकारी नहीं मिली थी.
बता दें कि, पिछले साल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में विधायकों और सांसदों ने शिवसेना से बगावत कर दी थी. इसके बाद महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व कर रहे उद्धव ठाकरे को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी. बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर कब्जे को लेकर दावा किया. इसके बाद 17 फरवरी को चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को काफी विस्तार से सुनने के बाद शिवसेना का चुनाव चिन्ह धनुष-बाण और पार्टी का नाम एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया था.
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