मार्केटिंग की किस किताब में लिखा है कि टांगें दिखाती लड़कियों से घिरी कारें ज्यादा बिकती हैं?

इन दिनों नोएडा में कार एक्सपो लगा हुआ है जहां कंपनियां नई कारों को लॉन्च करती हैं और अपनी नई तकनीकें पेश करती हैं. लेकिन कार कंपनियों की मार्केटिंग की स्ट्रेटजी कुछ ऐसी है जिसमें सीधे तौर पर लड़कियों को सामान की तरह प्रयोग किया जा रहा है. यानि एक ऐसी सोच बरकरार है जिसमें लड़कियों को सिर्फ आकर्षण के लिए खड़ा किया जाता है.

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मार्केटिंग की किस किताब में लिखा है कि टांगें दिखाती लड़कियों से घिरी कारें ज्यादा बिकती हैं?

Aanchal Pandey

  • February 8, 2018 9:33 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

कैसा रहेगा अगर आपको कोई बीमारी ही न हो लेकिन कोई लालच देकर बड़े प्यार से मीठे से रसगुल्ले में दवा डालकर आपको खिला दे. किसी प्रोडक्ट की मार्केटिंग की स्ट्रेटजी भी कई बार ऐसी ही होती है. यहां तक तो ठीक है. लेकिन बात आती है कि इसके लिए रसगुल्ले के तौर पर किसका प्रयोग किया जा रहा है. महिंद्र, टाटा, ह्यूंडाई जैसी अरबों में कमाने वाली कार कंपनियां हर साल ऑटो एक्सपो में अपनी अपनी नई कारों को लॉन्च कर नई तकनीक को पेश करती हैं. लेकिन खूबसूरत गाड़ियों से सजा ये एक्सपो हर किसी के लिए दिलचस्प नहीं होता और न ही वहां पहुंचने वाला हर व्यक्ति कार खरीदने का इरादा या हैसियत रखता है. ऐसे में भीड़ को खींचने के लिए जिस घटिया रणनीति को अपनाया जाता है उसे जानकर भी अक्सर लोग अंजान बने रहते हैं. दरअसल यहां मेला सिर्फ गाड़ियों का नहीं बल्कि उन लड़कियों का भी होता है जिन्हें प्रोडक्ट के रंग के मेल खाती वेस्टर्न ड्रेस पहनाकर किसी शो पीस की तरह कार के इर्द गिर्द सजा दिया जाता है. ये सीधे तौर पर एक ऐसा उदाहरण है जिसमें घुमा फिराकर नहीं बल्कि प्रत्यक्ष रूप से लड़कियों को सामान की तरह पेश किया जा रहा है.

यहां बताने कि जरूरत नहीं कि ऐसा करने के पीछे इन कंपनियों की क्या सोच है. शायद गाड़ियों की बिक्री इसी तरह बढ़ पाएगी या फिर किसी मॉडल के करीब आने के लिए कोई कार से जुड़ी जानकारी लेकर उसे खरीदने का मन बना लेगा. बारीकी से समझे तो बुत सी खड़ी शो पीस की टांगे देखने के बहाने शायद कोई कार के टायर की मजबूती देख सके, फ्लर्ट करने के बहाने से कार की खूबियां जानकर प्रभावित हो जाए. कार के साथ खड़ी लड़की अगर कोई सेल्स गर्ल भी होती है तो उसके ड्रेस कोड में प्रयोग होने वाले कपड़े में कंजूसी क्यों? अजीब है कि आखिर क्यों इन लड़कियों को खड़े रहने की तनख्वाह दी जाती है.     

इसी के चलते कुछ दिनों पहले प्रोफेशनल डार्ट कार्पोरेशन ने वॉक ऑन गर्ल्स को बैन कर दिया था और उसी रास्ते पर चलते हुए अब फॉर्मुला-1 ने भी प्रोमो मॉडल्स (ग्रिड गर्ल्स) को बैन कर दिया है. 2018  के FIA Formula-1 World Championship Season की शुरुआत में ग्रिड गर्ल्स को हटाने की घोषणा कर दी गई थी. लेकिन तथाकथिकत खुले विचारों वाले कॉर्पोरेट जगत से स्त्री को सामान समझने वाली सोच को पूरी तरह अब भी नहीं मिटाया जा सका है.

नोट: लेख में व्यक्त विचार लेखिका के हैं और इनखबर से इनकी सहमति या असहमति नहीं है.

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