हैदराबाद : भारत ने आज अपना तीसरा मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ लॉन्च कर दिया. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का ये बेहद खास मिशन 615 करोड़ की लागत में तैयार हुआ है. लॉन्च होने के […]
हैदराबाद : भारत ने आज अपना तीसरा मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ लॉन्च कर दिया. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का ये बेहद खास मिशन 615 करोड़ की लागत में तैयार हुआ है. लॉन्च होने के बाद करीब 42 दिन बाद यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. बता दें कि अगर चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित सॉफ्ट लैंडिंग कर लेता है तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा.
पृथ्वी और चांद दोनों का दक्षिणी इलाका ठंडा है. बता दें कि जैसे पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव वैसे ही चांद का भी दक्षिणी ध्रुव है. पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव अंटार्कटिका है जो सबसे ठंडा है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर खड़ा कोई अंतरिक्ष यात्री है उसको सूर्य क्षितिज पर नजर आएगा. वो चांद की सतह से लगता हुआ और चमकता नजर आएगा. इस क्षेत्र का अधिकतर हिस्सा छाया में रहता है क्योंकि सूर्य की किरणें सीधी न पड़कर तिरछी पड़ती है इसलिए यहां पर तापमान कम रहता है. अनुमान लगाया जा सकता है कि दक्षिणी ध्रुव पर कुछ खनिज संसाधन हो सकते है.
अमेरीकी स्पेश एजेंसी नासा के अनुसार आर्बिटरों के परीक्षणों पर कहा जा सकता है कि इस ध्रुव पर बर्फ होने की संभावना है. बर्फ के साथ ही इस ध्रुव पर अन्य प्राकृतिक संसाधन होने का अनुमान लगाया जा रहा है. बता दें कि 1998 में नासा ने मून मिशन के दौरान दक्षिणी ध्रुव पर हाइड्रोजन होने की बात कही थी कि उसी के बाद नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि हाइड्रोजन की मौजूदगी से बर्फ होने की पूरी संभावना है. नासा का मानना है कि इस ध्रुव पर ड़े-बड़े पहाड़ हैं जिसकी वजह से यहां पर सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती है.
बता दें कि दक्षिणी ध्रुव के जिस हिस्स में सूर्य की रोशनी पड़ती है वहां पर तापमान लगभग 50 डिग्री से अधिक और जिस हिस्सों में रोशनी नहीं पड़ती है वहां पर तापमान माइनस 248 डिग्री सेल्सियस रहता है.