नई दिल्ली: अडानी मामले को लेकर आज लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ। राष्ट्रपति के भाषण के बारे में बोलते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ऐसा कहा कि, मोदी सरकार ने अडानी के लिए नियमों में बदलाव किया है। 2014 में अडानी दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में 609वें नंबर पर था, मुझे नहीं पता कि यह जादू से हुआ और वह दूसरे नंबर पर आ गए। राहुल गाँधी ने सरकार पर जो आरोप लगाए गए हैं, बीजेपी भी बिफर गई है। भाजपा सांसदों ने राहुल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने बिना किसी सबूत के प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाए हैं, इसलिए उन्हें देश व जनता से माफी माँगनी चाहिए।
आपको बता दें, केंद्रीय संस्कृति एवं संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि राहुल गाँधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जो भी आरोप लगा रहे हैं, वे बेबुनियाद हैं. हम माँग करते हैं कि राहुल गाँधी तुरंत देश से माफी माँगें।” वहीं, बीजेपी सांसद निशकांत दुबे ने कहा कि राहुल गाँधी बिना किसी सबूत के प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप नहीं लगा सकते।
आपको बता दें, लोकसभा में राहुल गाँधी ने कहा, ‘यात्रा में युवाओं ने हमसे कहा कि हमें हमारी सेवा और पेंशन मिलती थी, लेकिन अब हमें 4 साल बाद निकाल दिया जाएगा, वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि हम मानते हैं कि अग्निवीर योजना है वह हमसे नहीं बल्कि आरएसएस से आई है और इसे सेना पर थोप दिया गया। अडानी के मामले पर राहुल ने कहा, ‘साल 2014 में अडानी दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में 609वें नंबर पर था, पता नहीं जादू हुआ और अडानी दूसरे नंबर पर आ गए। लोगों ने पूछा कि यह सफलता कैसे हुई। और भारत के प्रधान मंत्री के साथ आपका क्या संबंध है? बता दें, ये रिश्ता कई साल पहले तब शुरू हुआ था जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे।
सरकार पर आरोप लगाते हुए राहुल गाँधी ने कहा, ‘अडानी के लिए एयरपोर्ट के नियम बदले गए और यह मायने रखता है कि नियम किसने बदले। यह नियम हुआ करता था कि अगर कोई एयरपोर्ट बिजनेस में नहीं है तो वह इन एयरपोर्ट्स को नहीं ले सकता। भारत सरकार ने अडानी के लिए इस नियम में बदलाव किया है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ऑस्ट्रेलिया जाते हैं और जादुई रूप से एसबीआई अडानी को एक अरब डॉलर का ऋण देता है। इसके बाद पीएम बांग्लादेश गए और 1500 मेगावाट बिजली का ठेका अडानी को जाता है। अडानी की कंपनी में LIC का पैसा क्यों लगाया गया?”
आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारतीय कानून के तहत किसी प्रधानमंत्री पर बिना सबूत के संसद में आरोपित तो किया जा सकता है, लेकिन पहले कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का पालन भी करना होगा। सबसे पहले, आरोप अच्छे इरादे से लगाए जाने चाहिए। आरोप तुच्छ या निराधार नहीं होना चाहिए। आरोप लगाने वाले व्यक्ति के पास अपने दावों के समर्थन में कुछ विश्वसनीय सबूत होने चाहिए। संसद के नियम कहते हैं कि राष्ट्रीय महत्व के मामले पर कोई भी चर्चा या बहस सम्मानजनक और रचनात्मक तरीके से आयोजित की जानी चाहिए। लेकिन प्रधानमंत्री या उनकी आड़ में किसी अन्य व्यक्ति पर हमला करने या उसे बदनाम करने का इरादा नहीं होना चाहिए।
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