नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून लागू करने की अधिसूचना जारी करने के बाद से बंगाल में मतुआ समुदाय के लोगों में जश्न का माहौल है। शाम में सीएए लागू होने की खबर आते ही समुदाय के लोगों ने उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में जश्न मनाया, जहां मतुआ महासंघ […]
नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून लागू करने की अधिसूचना जारी करने के बाद से बंगाल में मतुआ समुदाय के लोगों में जश्न का माहौल है। शाम में सीएए लागू होने की खबर आते ही समुदाय के लोगों ने उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में जश्न मनाया, जहां मतुआ महासंघ का मुख्यालय व प्रमुख मंदिर है। बड़ी संख्या में समुदाय के लोग ठाकुरनगर में स्थित मतुआ समुदाय के आध्यात्मिक गुरु श्री श्री हरिचंद व गुरुचंद ठाकुर के मंदिर के सामने इक्ट्टा होकर ढ़ोल-नगारों के साथ नाच-गाकर जश्न मनाया।
बताते चलें कि सीएए का सबसे ज्यादा फायदा बंगाल में मतुआ समुदाय को ही होने वाला है। भारत के विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से बड़ी संख्या में हिंदु मतुआ शरणार्थी पश्चिम बंगाल आ गए थे। ये ऐसे शरणार्थी हैं, जिन्हें आजतक भारतीय नागरिकता नहीं दी गई है। कई दशकों से ये लोग भारतीय नागरिकता की लगातार मांग कर रहे थे, जो अब उन्हें मिलने वाली है।
बता दें कि बंगाल में मतुआ शरणार्थी मुख्य रूप से बांग्लादेश की सीमा से लगे उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, नदिया, जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी, कूचबिहार के अलावा पूर्व व पश्चिम वर्धमान जिले में फैले हुए हैं। देश विभाजन के बाद बाद हरिचंद-गुरुचंद ठाकुर के वंशज प्रमथा रंजन ठाकुर और उनकी पत्नी वीणापाणि देवी उर्फ बड़ो मां ने मतुआ महासंघ की क्षत्रछाया में राज्य में मतुआ समुदाय को इकट्ठा किया और उन्हें भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए कई आंदोलन किए।