नई दिल्लीः भारत में नागरिकता संशोधन कानून लागू हो जा के बाद सात समंदर पार अमेरिका में भी खुशी की लहर है। बता दें कि इस कानून के लागू हो जाने के बाद भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे सताए हुए अल्पसंख्यक भारत की नागरिकता ले सकते हैं। इस कानून […]
नई दिल्लीः भारत में नागरिकता संशोधन कानून लागू हो जा के बाद सात समंदर पार अमेरिका में भी खुशी की लहर है। बता दें कि इस कानून के लागू हो जाने के बाद भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे सताए हुए अल्पसंख्यक भारत की नागरिकता ले सकते हैं। इस कानून के लागू होने के बाद दुनियाभर में खुशी मनाई जा रही है। अमेरिका में हिंदू संगठन के कार्यकारी निदेशक सुहाग शुक्ला ने इस संबंध में कहा कि भारत में सीएए का काफी लंबे समय से इंतजार था।
नए कानूनों के तहत मोदी सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक आए पीड़ित अल्पसंख्यक गैर-मुस्लिमों हिंदू, सिख, ईसाई, जैने, बौद्ध और पारसी को भारत की नागरिकता। बता दें कि सीएए दिसंबर 2019 में संसद के दोनों सदनों से पारित करा लिया गया था और उसके अगले दिन ही राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है। वहीं अब इसे अमलीजामा दे दिया गया है।
गृह मंत्रालय ने आवेदकों की सुविधा के लिए एक पोर्टल लॉन्च किया है और पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। एक अधिकारी ने कहा कि आवेदकों को घोषित करना होगा कि वे किस वर्ष बिना यात्रा दस्तावेजों के भारत में आए थे। आवेदकों से कोई कागज नहीं मांगा जाएगा। कानून के अनुसार सीएए के तहत तीनों पड़ोसी देशों के बिना कागज वाले अल्पसंख्यकों को भी लाभ मिलेगा।