नई दिल्लीः चार वर्ष के लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने नागरिकता संसोधन कानून का अमलीजामा दे दिया है। बता दें कि सीएए को साल 2019 में संसद के दोनों सदन से पारित करा लिया गया था। जिसके एक दिन बाद ही राष्ट्रपति ने तीनों बिल को मंजूरी दे दी थी। वहीं मंजूरी मिलने के बाद देशभर में कोरोना का कहर आ जाने के कारण सरकार कानून को लागू नहीं कर पाई थी। वहीं तीनों बिल के पास हो जाने के बाद मुस्लिम समाज ने जमकर सीएए का विरोध किया था।
नागरिकता संसोधन कानून पास होने के बाद मुस्लिम समाज के लोगों और संगठनों ने जबरदस्त हंगामा किया था। देश के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन किया गया था। वहीं सीएए कानून लागू होने के बाद मुस्लिम समाज और संगठन ने एक बार फिर इसका विरोध करना शुरु कर दिया था।
मुस्लिम समाज का कहना था कि इस कानून से मुस्लिमों को बाहर रखना गलत है। यह समानता के अधिकार के खिलाफ है और देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचेगा। वहीं कुछ मुस्लिम संगठनों का कहना है कि सीएए के बहाने मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा सकता है।
गृह मंत्रालय ने आवेदकों की सुविधा के लिए एक पोर्टल लॉन्च किया है और पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। एक अधिकारी ने बताया कि आवेदकों को बताना होगा कि वे किस वर्ष बिना यात्रा दस्तावेजों के भारत में आए थे। आवेदकों से कोई कागज नहीं मांगा जाएगा। कानून के अनुसार सीएए के तहत तीनों पड़ोसी देशों के बिना दस्तावेज वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलेगी।
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