नई दिल्ली: हिंदी पट्टी और हिंदुत्व की बात करने वाली पार्टी भाजपा अब उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीति बदलने में लगी हुई है. नए दौर में भाजपा हिंदुत्व पर तो फोकस करती ही है साथ ही मुस्लिम वोट को भी जाने नहीं देना चाहती है. आलम ये है कि पहले भाजपा और जिस एक समुदाय […]
नई दिल्ली: हिंदी पट्टी और हिंदुत्व की बात करने वाली पार्टी भाजपा अब उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीति बदलने में लगी हुई है. नए दौर में भाजपा हिंदुत्व पर तो फोकस करती ही है साथ ही मुस्लिम वोट को भी जाने नहीं देना चाहती है. आलम ये है कि पहले भाजपा और जिस एक समुदाय में अलग ही दूरी दिख जाती थी वहाँ आज हवा बदली-बदली है. अब भाजपा ने मुस्लिम वोट अपने पाले में करने के लिए अलग रणनीति तैयार कर ली है. नई रणनीति में पहला कदम मन की बात से उठाया जाएगा.
दरअसल मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात के कई संदेशों को एक किताब का रूप दिया है. ख़ास बात ये है कि यह किताब उर्दू में छपवाई जा रही है. ख़ास रमजान के समय में इसकी लाख कॉपियां वितरित की जाएंगी. 150 पन्नों की इस किताब को छपवाने का उद्देश्य पीएम मोदी की मन की बात के हर संदेश को मुस्लिम समुदाय तक पहुंचाना है. इस तरह साफ़ है कि मोदी सरकार हर तरह से मुस्लिम समुदाय को साधने का प्रयास कर रही हैं. अब क्योंकि भाजपा का ये मिशन बड़ा है तो इसका प्रचार भी हर तरह से किया जा रहा है.
रमजान के मौके पर पार्टी एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है. कार्यक्रम के माध्यम से 80 लोकसभा सीटों में मुस्लिम समुदाय के बीच इस किताब का वितरण किया जाएगा. यह किताब मुस्लिम स्कॉलर्स, छात्र और उर्दू रीडर्स को दी जाएगी जिसे पार्टी ने अपना टारगेट ऑडियंस माना है. यूपी में लोकसभा की 14 हारी हुई सीटों पर बाजी पलटने के लिए भाजपा तैयारी कर रही है.
आपको बता दें उत्तर प्रदेश की जमीन पर मुसलमानों के पिछड़े वर्गों की कुल आबादी में 85 फीसदी हिस्सेदारी मानी जाती है. यहां मुस्लिम आबादी की 41 जातियां हैं जो पिछड़े वर्ग में आती हैं. इसमें कुरैशी, अंसारी, सलमानी, शाह, राईन, मंसूरी, तेली, सैफी, अब्बासी, घाड़े और सिद्दीकी प्रमुख रूप से शामिल हैं जिसे साधने का बखूबी प्रयास किया जा रहा है. इस वोट बैंक को आधार बनाकर कई पार्टियां चुनाव जीतती हैं. इसी कड़ी में अब भाजपा भी जगह-जगह पसमांदा सम्मेलन आयोजित कर रही है जिससे यूपी की राजनीति का एक और बड़ा सियासी गणित सामने आ रहा है.
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