नई दिल्ली: बुलडोज़र से अवैध संपत्तियों को ढहाने का सिलसिला उत्तरप्रदेश से शुरू हुआ था, जो अब पूरे देश में फेमस हो चुका है. सरकार को अब किसी भी अपराधी के खिलाफ कोई भी एक्शन लेना हो तो सरकार पहले उसके जमीनी बैकग्राउंड को खोजती है और अवैध पाए जाने पर बुलडोजर से उसके खिलाफ […]
नई दिल्ली: बुलडोज़र से अवैध संपत्तियों को ढहाने का सिलसिला उत्तरप्रदेश से शुरू हुआ था, जो अब पूरे देश में फेमस हो चुका है. सरकार को अब किसी भी अपराधी के खिलाफ कोई भी एक्शन लेना हो तो सरकार पहले उसके जमीनी बैकग्राउंड को खोजती है और अवैध पाए जाने पर बुलडोजर से उसके खिलाफ कार्यवाई करती है. इस बीच बुलडोजर से घरों को ढहाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. कोर्ट में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने इसके खिलाफ याचिका दायर की है. याचिका में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने कहा है कि उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में मुसलमानों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है.
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा गया कि राज्यों को आदेश दें कि अदालत की अनुमति के बिना किसी के घर या दुकान को गिराया नहीं जाएगा. याचिका में केंद्र सरकार ने उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य की सरकारों को पक्षकार बनाया गया है. बता दें यह याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की तरफ से इमदादी कमेटी के सचिव गुलज़ार अहमद आज़मी ने दायर की है.
सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर करने से पहले जमीयत उलेमा ए हिंद ने गृह मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा था. इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा कि
खरगोन में अब मुस्लिमों के घरों और बाकी सम्पत्तियों पर बुलडोज़र चलाया जा रहा है जो एक चिंता का विषय है. गृह मंत्री को लिखे पत्र में कहा गया कि मुसलमानों की संपत्तियों को टारगेट किया जा रहा है.