September 28, 2024
शाम को पेश होता था बजट, NDA सरकार ने बदल दी थी ये परंपरा

शाम को पेश होता था बजट, NDA सरकार ने बदल दी थी ये परंपरा

  • WRITTEN BY: Ayushi Dhyani
  • LAST UPDATED : January 30, 2023, 6:01 pm IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ये मोदी सरकार का आखिरी बजट है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए बजट पेश करेंगी। ये वित्त मंत्री के रूप में सीतारमण का लगातार 5वां बजट होगा। वैसे तो भारत का बजट सुबह के समय पेश होता है लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। पहले भारत का बजट शाम के वक्त पेश किया जाता है, जिसके पीछे वजह भी थी। हालाँकि बाद में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने इस परंपरा को तोड़ दिया था।

बदली थी परंपरा

भारत में बजट की शुरुआत अंग्रेजों ने की थी। जिसके चलते बजट पेश किए जाने का समय लंदन की घड़ी के हिसाब से तय था। भारत के बजट को ब्रिटेन की संसद में भी सुना जाता था। इस वजह से बजट को शाम में पेश किया जाता था। उस वक्त लंदन में दिन के 11 बजते थे और भारत में शाम के 5 बज रहे होते थे। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में जब यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) वित्त मंत्री बने तो उन्होंने इस परंपरा को बदला, जिसके बाद 27 फरवरी 1999 को पहली बार सुबह के समय भारत का बजट पेश किया गया। तब से बजट सुबह ही पेश किया जाता है।

सबसे ज्यादा बजट पेश करने वाले नेता

सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने वाले नेताओं में मोरारजी देसाई का नाम सबसे पहले आता है। ये मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक बने हैं। वह कई साल तक उप प्रधानमंत्री भी रहे चुके हैं। इस दौरान उनके पास वित्त मंत्रालय का लंबे समय तक पद रहा। देसाई जवाहर लाल नेहरू की सरकार में ही वित्त मंत्री बने थे और वह इंदिरा गांधी के समय भी इस पर पद पर बने रहे। मोराजी देसाई के खाते में 10 बार बजट पेश करने का इतिहास है। इनमें 8 पूर्ण बजट और 2 अंतरिम बजट शुमार है।

भारत की किस्मत बदलने वाला वित्त मंत्री

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम के बिना बजट का इतिहास कुछ अधूरा सा रह जाता है। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के कार्यकाल में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री चुने गए थे और भारत में उन्होंने ही आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की थी। आज अगर भारत की गिनती दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में होती है, तो इसका श्रेय जाता है 1991 के ऐतिहासिक बजट को।

 

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