नई दिल्ली. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के जवान किस तरह से सीमा की सुरक्षा करते हैं अगर सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे. पश्चिमी राजस्थान में 270 किमी फैली सीमा पर तैनात जवानों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. बाढ़मेर में सेना की 66 पोस्ट में से सिर्फ दो पर पीने के पानी की सुविधा है. शेष पोस्ट्स टैंकर के पानी की सप्लाई पर निर्भर हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बाड़मेर सेक्टर में बीएसएफ के उप महानिरीक्षक श्याम कपूर ने कहा कि कई पोस्ट्स पर पीने का पानी की समस्या है”. उन्होंने आगे कहा कि इस पूरे क्षेत्र में ही यह समस्या है और कई गांवों को इस स्थिति का सामना करना पड़ता है. कपूर ने कहा, “हमने जल कार्य विभाग को प्रस्ताव भेजा है और उम्मीद है कि जल्द ही इसका समाधान होगा.
राजस्थान सीमावर्ती इलाके में बीएसएफ के उप महानिरीक्षक रवि गांधी ने कहा कि यह समस्या बाड़मेर तक ही सीमित नहीं है और राज्य में जैसलमेर और बीकानेर की चौकी पर भी ऐसी ही स्थिति है. उन्होंने कहा, “हम इस समस्या को सुलझाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार के साथ काम कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि जल्द ही सभी सीमा चौकी पर पीने का पानी पहुंच जाएगा.
राजस्थान जल कार्य विभाग के कार्यकारी अभियंता हजारीराम बलवान ने कहा: “यह सच है कि सभी सीमा चौकी को पीने के पानी की आपूर्ति पाइपलाइनों के माध्यम से नहीं की जाती है. 2014-15 में, हमें सीमा क्षेत्र विकास योजना के तहत एक बजट मिला और चार सीमा चौकी पर पीने के पानी की पाइपलाइनों से जोड़ने का काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि इस समस्या को हल करने के लिए विभाग और बीएसएफ ने फरवरी के पहले सप्ताह में एक संयुक्त सर्वेक्षण किया था. बीएसएफ ने हमें विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है, जो प्रक्रिया में है.
उन्होंने कहा कि बीएसएफ ने पानी की आपूर्ति पीने के लिए एक विशेष बजट प्रदान किया. “हम उम्मीद कर रहे हैं कि काम (पानी की पाइपलाइनों के साथ चौकी जोड़ने) जुलाई में शुरू होगा और अगले एक साल में पूरा हो जाएगा.”
चार साल पहले, बीएसएफ ने पानी की पाइपलाइनों को लगाने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन बाद से कोई कदम नहीं उठाया गया है. बीएसएफ के एक अधिकारी ने कहा, “कभी-कभी हम आस-पास के इलाकों से टैंकर लेते हैं, लेकिन कभी-कभी हमें सीमा चौकी से 80 से 125 किलोमीटर दूर शहरों से पानी लाना पड़ता है.” प्रत्येक चौकी को एक महीने में लगभग 20 टैंकरों की आवश्यकता होती है. इसे लाने में खर्च हुए ईंधन का व्यय की बीएसएफ को ही करना होता है.
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