प्रयागराज: अतीक अहमद का काफिला साबरमती से कुछ ही देर में प्रयागराज पहुँच जाएगा. दूसरी ओर उसके भाई और उमेश पाल के अपहरण मामले में दुसरे आरोपी अशरफ का काफिला भी बरेली से प्रयागराज के लिए निकल पड़ा है. अशरफ भी कुछ ही देर में प्रयागराज पहुँच जाएगा. दोनों को प्रयागराज पुलिस 28 मार्च यानी […]
प्रयागराज: अतीक अहमद का काफिला साबरमती से कुछ ही देर में प्रयागराज पहुँच जाएगा. दूसरी ओर उसके भाई और उमेश पाल के अपहरण मामले में दुसरे आरोपी अशरफ का काफिला भी बरेली से प्रयागराज के लिए निकल पड़ा है. अशरफ भी कुछ ही देर में प्रयागराज पहुँच जाएगा. दोनों को प्रयागराज पुलिस 28 मार्च यानी मंगलवार को प्रयागराज की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट के सामने पेश करेगी. इसी बीच अशरफ ने बड़ा बयान दिया है उसने कहा है कि उसे ना तो पुलिस का डर है और ना ही किसी एनकाउंटर का.
माफिया अतीक के भाई अशरफ ने कहा कि ‘मुझे कोई डर नहीं है. मैं कोई डॉन नहीं हूं. जो डॉन है उन्हें डर लगे.’ बता दें, अशरफ का काफिला रायबरेली से निकल गया है जो प्रयागराज के लिए रवाना हुआ है. पुलिस उसे प्रयागराज लाते ही कोर्ट के सामने पेश करेगी. इस दौरान जब मीडिया ने उससे सवाल किया कि क्या उसे गाड़ी पलटने का डर लग रहा है तो उसने कहा कि ‘हमें किस बात का डर लगेगा ….. हमारा राजनीतिक परिवार है…… जो माफिया है उसे डर लगेगा न।’ दूसरी ओर अतीक अहमद के काफिले के पीछे उसकी बहनों की गाड़ी भी दिखाई दे रही है जिन्हें अपने भाई की जान जाने का डर सता रहा है. मीडिया से बात करते हुए अतीक की बहन ने कहा है कि उसके भाई को जान का खतरा है इसलिए वह उसके काफिले के पीछे जा रही है.
वकील अमित कुमार सिंह ने कहा है कि यदि यह सिद्ध हो जाता है कि अपराध एक सोची-समझी साज़िश के तहत हुआ है तो अतीक के साथ-साथ अन्य आरोपी भी उस सज़ा के हक़दार होंगे जो सज़ा अतीक के लिए निर्धारित होगी। भारतीय संविधान के IPC की धारा के अनुसार अपहरण के अपराध में आजीवन कारावास के अलावा मृत्युदंड की भी सजा हो सकती है।
हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील अरुण कुमार मिश्रा का कहना है कि उमेश पाल के अपहरण कांड में कई धाराएं लगी हैं, जिसमें से 364 ए धारा को सबसे बड़ा बताया जा रहा है, जिसके चलते अतीक को आजीवन कारावास या फांसी तक की सज़ा भी हो सकती है। इसके अलावा जो अन्य धाराएं लगाई गयी हैं, वह कुछ इस प्रकार है – 34, 120बी, 147, 148, 149, 323, 341, 342, 364, 504, 506 इत्यादि है।
यह मामला 2006 का है जब राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल का अपहरण हुआ था। उमेश ने 2007 में बसपा सरकार के आने के बाद अतीक अहमद और उसके कुल 11 साथियों के खिलाफ प्रयागराज के धूमनगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई। इस मामले की सुनवाई वर्ष 2023, 23 मार्च को जाकर पूरी हुई है और माना जा रहा है कि 28 मार्च तक इस पर फैसला भी सुना दिया जायेगा।
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