नई दिल्ली. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने मी टू कैंपने को लेकर कहा कि कई संस्थानों में यौन शोषण से डील करने वाले कानून को कार्यस्थल पर लागू नहीं किया जा रहा था जो कि काफी शर्मनाक है. यौन उत्पीड़न के खिलाफ सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे अभियान को लेकर वृंदा करात ने कहा कि #MeToo अभियान के खिलाफ महिलाओं ने अपने अनुभवों व यौन उत्पीड़न की यातनाओं को बयां किया है. साथ ही महिलाओं ने चुप्पी साधे रखने वाली प्रथा को तोड़ा है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने कहा कि ज्यादात्तर संस्थानों में अभी भी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से निपटने वाला कानून लागू नहीं है ये बेहद शर्मनाक है. साथ ही वृंदा करात ने कहा कि महिला की असहमति किया गया कोई भी कार्य यौन शोषण के दायरे में आता है. हमें पुरुषों को सहमति का अर्थ समझाना होगा. महिलाएं चुप्पी साधे रहने और खुद को दोषी समझने वाली संस्कृति अब खत्म हो रही है.
करात ने कहा कि महिलाएं अब खोल कर सामने आ रही है. बता दें वृंदा करात की यह टिप्पणी उस समय आई है जब देशभर में मी टू कैंपेन को लेकर नई जंग छिड़ी है. अभी तक मी टू कैंपेन के जरिए तनुश्री दत्ता नाना पाटेकर, विनता नंदा आलोक नाथ विवाद सामने आया है. हाल में ही तारा शो के एक्टर और संस्कारी बाबूजी आलोक नाथ पर विनता नंदा ने रेप के आरोप लगाए. हालांकि एक्टर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था.
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