नई दिल्ली: बच्चों के बीच अपने स्वाद को लेकर लोकप्रियता पाने वाले कैडबरी ब्रांड का हेल्थ ड्रिंक पाउडर प्रोडक्ट Bournvita एक बार फिर विवादों में है. जहां Bournvita में शुगर यानी मिठास की मात्रा को लेकर एक बार फिर विवाद बढ़ रहा है. याद हो बीते दिनों सोशल मीडिया पर इंफ्लुएंसर रेवंत हिमतसिंग्का एक मिनट […]
नई दिल्ली: बच्चों के बीच अपने स्वाद को लेकर लोकप्रियता पाने वाले कैडबरी ब्रांड का हेल्थ ड्रिंक पाउडर प्रोडक्ट Bournvita एक बार फिर विवादों में है. जहां Bournvita में शुगर यानी मिठास की मात्रा को लेकर एक बार फिर विवाद बढ़ रहा है. याद हो बीते दिनों सोशल मीडिया पर इंफ्लुएंसर रेवंत हिमतसिंग्का एक मिनट का एक वीडियो शेयर किया था जिसमें उन्होंने दावा किया गया कि कंपनी हेल्थ ड्रिंक होने के बाद भी बड़ी मात्रा में शुगर का इस्तेमाल करती है. इसके बाद इंफ्लुएंसर को कंपनी ने नोटिस जारी कर दिया था जिसके बाद वीडियो डिलीट कर लिया गया हालांकि ये पूरा मामला लाइमलाइट में आ गया. अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानी NCPCR ने Bournvita ब्रांड के स्वामित्व वाली कंपनी मोंडेलेज इंडिया को एक नोटिस भेजा है। इस नोटिस में भ्रामक, पैकेजिंग और लेबल वापस लेने के लिए निर्देश दिए गए हैं.
जानकारी के अनुसार इस नोटिस में NCPCR ने बताया है कि उसे कंपनी के खिलाफ शिकायत मिली है जिसमें कंपनी पर शुगर और अन्य पदार्थों का उच्च प्रतिशत इस्तेमाल ना करने का आरोप लगाया गया है. इस मात्रा से बच्चों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है. इतना ही नहीं NCPCR ने इस मामले को देखते हुए एक पैनल गठित कर सात दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट भेजनी के लिए भी कहा है. बता दें, सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर रेवंत हिमतसिंग्का ने बीते दिनों एक 1 मिनट का वीडियो शेयर किया था जिसके वायरल होने के बाद ये मुद्दा सामने आया. इसके बाद कंपनी ने सफाई भी दी थी. इंफ्लुएंसर के इस वीडियो के बाद Bournvita ब्रांड की कंपनी मोंडेलेज इंडिया ने रेवंत को कानूनी नोटिस भी भेजा था.
बवाल बढ़ने पर रेवंत का बयान भी सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी कानून कंपनियों में से एक से ’13 अप्रैल, 2023 को लीगल नोटिस मिलने के बाद उन्होंने यह वीडियो हटाने का फैसला लिया. उन्होंने आगे कंपनी से माफ़ी भी मांगी और आगे कहा कि उनका ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने या कंपनी को बदनाम करने का कोई इरादा नहीं था. वह आगे कहते हैं कि उनके पास कानूनी पचड़ों में पड़ने के लिए रुचि और संसाधन की कमी है और वह आगे कंपनी से अनुरोध करते हैं कि वह इस बात को कानूनी रूप से आगे ना बढ़ाएं.
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