नई दिल्ली : बुक माय शो के CEO और को-फाउंडर आशीष हेमराजानी को मुंबई पुलिस ने समन जारी किया गया है। बता दें कि बुक माय शो ऑनलाइन टिकट बेचने का एक प्लेटफॉर्म है.। आशीष को यह समन टिकटों की कालाबाजारी करने के आरोप में जारी हुआ है।आशीष पर आरोप है कि उन्होंने अगले साल होने वाला ‘कोल्डप्ले कॉन्सर्ट’ के टिकट महंगे दाम पर बेचे हैं. आइए आज हम आपको बताएंगे कि आशीष हेमराजानी के पास कितनी सम्पति हैं।
अगले साल जनवरी में कोल्डप्ले बैंड मुंबई में परफॉर्म करेगा। इस बैंड कि टिकट की बिक्री बुक माय शो पर हो रही हैं। इस मामले में अमित ने गुरुवार को आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में शिकायत दर्ज कराई थी। टिकटों को 30 से 50 फीसद ज्यादा कीमत पर बेचा गया है। इन पर या भी आरोप है कि 2500 रुपये का टिकट एक लाख रुपये तक बेचा गया है।
आशीष का जन्म साल 1975 में हुआ था। इनकी स्कूली शिक्षा जुहू में स्थित मानेकजी कूपर ट्रस्ट से पूरी हुई थी। इसके बाद मीठीबाई कॉलेज से ग्रेजुएशन और सिडेनहैम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक से MBA किया। पढ़ाई के बाद उन्होंने विज्ञापन कंपनी जे वाल्टर में काम करना शुरू कर दिया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आशीष की नेटवर्थ 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। वहीं उनकी कंपनी बुक माई शो का अनुमानित वैल्यूएशन 7500 करोड़ रुपए है।
आशीष को बुक माय शो का आइडिया एक पेड़ के नीचे आया था।दरअसल, दो साल तक जॉब करने के बाद वह छुट्टीयां मनाने दक्षिण अफ्रीका गए थे वहां वह खाली समय में पेड़ के नीचे बैठ रेडियो पर एक प्रोग्राम सुन रहे थे। उस प्रोग्राम में उन्होंने रग्बी गेम की टिकट के बारे में विज्ञापन सुना था। यहां उन्हों आइडिया आया कि क्यों न ऐसा ही कुछ फिल्मों की टिकट के लिए भी किया जाए। भारत लौटने से पहले तक उनका पूरा प्लान तैयार था।
2006 में डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का दौर आया। नेट बैंकिंग शुरू हुई। थिएटर और मल्टीप्लेक्स की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ। इसका फायदा आशीष की कंपनी को भी हुआ। 2007 में उन्होंने कंपनी का ब्रांड नाम बदलकर ‘बुक माय शो’ रख दिया। 2011 में ही कंपनी नई ऊंचाई पर पहुंच गई और करीब 16 करोड़ रुपए का रेवेन्यू कमाया। इसके बाद आशीष ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
आशीष ने दो दोस्तों के साथ साल 1999 में बिग ट्री एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी शुरू की। उस समय देश में इंटरनेट का विस्तार बहुत ही काम था। कुछ लोगों के पास ही इंटरनेट तक पहुंच थी। उस समय ऑनलाइन पेमेंट का कोई साधन नहीं था। ऐसे समय में आशीष के सामने कई चुनौतियां थी। कुछ समय बाद कंपनी का नाम बदलकर गो फॉर टिकटिंग हो गया। उस समय डॉट कॉम इंडट्री की काफी डिमांड थी। ऐसे में जेपी मोर्गन चेस ने गो फॉर टिकटिंग के अपने सारे शेयर्स न्यूज कॉर्पोरेशन को बेच दिए थे।। अब कंपनी का ब्रांड नेम इंडिया टिकिटिंग हो गया था।
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