बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला: किसी को चूमना और प्यार करना अप्राकृतिक यौन अपराध नहीं

मुंबई। महाराष्ट्र में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाया है इस फैसले में कहा गया है कि किसी को चूमना और प्यार करना अप्राकृतिक यौन अपराध नहीं है। अदालत ने यह फैसला सुनाते हुए एक मामले में नाबालिग लड़के के यौन शोषण के आरोपी को जमानत दे दी। आदेश में, न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई […]

Advertisement
बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला: किसी को चूमना और प्यार करना अप्राकृतिक यौन अपराध नहीं

Pravesh Chouhan

  • May 15, 2022 3:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

मुंबई। महाराष्ट्र में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाया है इस फैसले में कहा गया है कि किसी को चूमना और प्यार करना अप्राकृतिक यौन अपराध नहीं है। अदालत ने यह फैसला सुनाते हुए एक मामले में नाबालिग लड़के के यौन शोषण के आरोपी को जमानत दे दी। आदेश में, न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई ने 14 वर्षीय लड़के के पिता द्वारा दर्ज कराई गई पुलिस शिकायत के बाद पिछले साल गिरफ्तार एक व्यक्ति को जमानत दे दी।

क्या है मामला

प्राथमिकी के अनुसार, लड़के के पिता को उसकी अलमारी से कुछ पैसे गायब मिले। लड़के ने उसे बताया कि उसने आरोपी को पैसे दिए हैं। नाबालिग ने कहा कि वह मुंबई के एक उपनगर में आरोपी व्यक्ति की दुकान पर एक ऑनलाइन गेम रिचार्ज करने के लिए जाता था जिसे वह खेलता था। लड़के का आरोप है कि एक दिन जब वह रिचार्ज करने गया तो आरोपी ने उसके होठों को चूमा और उसके गुप्तांगों को छुआ। लड़के के पिता ने तब पुलिस से संपर्क किया, आरोपी के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों की रोकथाम (PACSO) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की।

30 हजार के निजी मुचलके पर मिली जमानत

न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि लड़के की मेडिकल जांच उसके यौन उत्पीड़न के बयान का समर्थन नहीं करती है। आरोपी के खिलाफ लगाए गए POCSO की धाराओं में अधिकतम पांच साल की सजा है और उसे जमानत का अधिकार है। न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने कहा कि अप्राकृतिक यौन अपराध का तत्व प्रथम दृष्टया वर्तमान मामले में लागू नहीं है। पीड़िता के बयान के साथ-साथ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) प्रथम दृष्टया संकेत देती है कि आवेदक ने पीड़िता के निजी अंगों को छुआ और उसके होंठों को चूमा।

न्यायाधीश ने कहा कि मेरे विचार से यह धारा 377 के तहत प्रथम दृष्टया अपराध नहीं होगा। उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी पहले से ही एक साल के लिए हिरासत में था और मामले की सुनवाई जल्द शुरू होने की संभावना नहीं है। हाईकोर्ट ने आरोपी को 30,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देते हुए कहा कि उक्त तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए आवेदक जमानत का हकदार है।

यह भी पढ़े-

दिल्ली: मुंडका अग्निकांड में अब तक 27 लोगों की मौत, NDRF का बचाव अभियान जारी

Advertisement