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पत्नी को ठीक से खाना बनाने या घर का काम करने के लिए कहना अत्याचार नहीं- बॉम्बे हाई कोर्ट

मुंबई हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी को ठीक से खाना बनाने और घर का काम करने के लिए कहना कोई अत्याचार नहीं है. कोर्ट ने इस मामले में आरोपी पिता पुत्र को रिहा कर दिया.

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Asking wife to cook properly Not atrocity
  • August 6, 2018 11:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक घरेलू हिंसा के मामले में अपनी राय रखते हुए कहा कि पत्नी को ठीक से खाना बनाने और घर का काम करने के लिए कहना अत्याचार की श्रेणी में नहीं आएगा. कोर्ट ने 17 साल पुराने केस में सांगली निवासी शख्स और उसके पिता को दोषमुक्त कर दिया. पिता पुत्र पर पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला चल रहा था.

इस मामले पर सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि महिला ने पति के किसी दूसरी महिला से संबंध के संदेह और ससुराल में दुर्व्यवहार के चलते जहर पीकर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सारंग कोतवाल ने टिप्पणी की कि पत्नी को ठीक से खाना बनाने और घर का काम करने का मतलब यह नहीं है कि उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया है.

जस्टिस सारंग कोतवाल ने कहा कि इस पर कोई ठोस सबूत नहीं है कि इस तरह का व्यवहार उत्पीड़न के तहत आता है. ऐसे में सुसाइड के लिए उकसाने की धारा नहीं लगाई जा सकती. जज ने कहा कि अभियोजन पक्ष उक्त युवक के किसी अन्य महिला के साथ अवैध संबंध का भी कोई सबूत पेश नहीं कर पाया. यहां तक कि अभियोजन पक्ष ने परिवार के किसी सदस्य से भी इस बारे में पड़ताल नहीं की जो उसे इस पहलू पर जानकारी देता. इसलिए आरोपी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

बता दें कि आरोपी विजय शिंदे की 1998 में शादी हुई थी. उसकी पत्नी ने 5 जून 2001 को जहर पीकर जान दे दी थी. विजय के खिलाफ ससुराल पक्ष की तरफ से लगाए आरोपों में कहा गया है कि पीड़िता को ठीक से खाना बनाने और घर का काम नहीं करने पर सास-ससुर रोजाना डांटते थे. इसीलिए उसने आत्महत्या कर ली.

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