Bombay High Court Clears Maharashtra Maratha Quota: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से कुछ महीनों पहले देवेंद्र फडणवीस सरकार को कानूनी और राजनीतिक जीत मिली है. दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में कोटा देने वाले फडणवीस सरकार के कानून को बरकरार रखने का फैसला किया है. हालांकि, हाई कोर्ट (HC) ने शिक्षण संस्थाओं में दाखिले के दौरान कोटा को घटाकर 16% से 12% कर दिया है. वहीं सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा को घटाकर 16 से 13 प्रतिशत कर दिया है.
मुंबई. Bombay High Court Clears Maharashtra Maratha Quota: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों में चार महीने से भी कम का वक्त रह गया है. इससे पहले महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार को कानूनी और राजनीतिक जीत मिली है. दरअसल, गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में कोटा देने वाले राज्य सरकार के कानून को बरकरार रखने का फैसला किया है. हालांकि, हाई कोर्ट (HC) ने शिक्षण संस्थाओं में दाखिले के दौरान कोटा को घटाकर 16% से 12% कर दिया है. वहीं सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा को घटाकर 16 से 13 प्रतिशत कर दिया है.
आपको बता दे कि फडणवीस सरकार सरकार ने विधानसभा के दोनों सदनों में पिछले साल नवंबर में सर्वसम्मति से मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक पारित किया था. फडणवीस सरकार के इसी विधयेक को खारिज करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य के पास समाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग अधिनियम 2018 को लागू करने की विधायी शक्ति है, जिसके तहत मराठाओं को एसईबीसी की कैटेगिरी में रखते हुए उन्हें आरक्षण दिया जा सकता है.
जजो की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि असाधारण परिस्थितियों में आरक्षण के दायरे को 50 फीसदी से बढ़ाया जा सकता है. बता दें कि मराठाओं को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 16 फीसदी आरक्षण मिलने के बाद राज्य में आरक्षण का कोटा बढ़कर 68 फीसदी हो जाएगा. कोर्ट के इस आदेश के बाद मराठा समुदाय के शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन, सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है.
इससे पहले सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मराठाओं की काफी समय से चली आ रही मांग पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश पर कार्यवाही रिपोर्ट(ATR) पेश करते हुए कहा था कि सरकार ने नई सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग(एसईबीसी) श्रेणी के तहत माराठा समुदाय के लोगों को 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा है. सरकार द्वारा पेश किया गया ये विधेयक दोनों सदनों में बिना किसी चर्चा के सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया था.