नई दिल्ली: रक्षाबंधन वैसे तो भाई-बहन के रिश्ते का पवित्र त्योहार है, लेकिन इस बार 19 अगस्त को यह दिन अंतरिक्ष में रुचि रखने वालों के लिए भी खास होगा। इस दिन आसमान में ‘ब्लू मून’ नजर आएगा। पर यहां सवाल उठता है कि यह ब्लू मून आखिर है क्या? क्या सच में चांद नीला दिखाई देगा? आइए, इस अद्भुत खगोलीय घटना के पीछे के विज्ञान को समझते हैं।
चांद, धरती के चारों ओर परिक्रमा करते हुए कभी धरती के करीब आता है तो कभी दूर चला जाता है। जब चांद अपनी कक्षा में धरती के सबसे करीब होता है और उस दिन पूर्णिमा भी होती है, तो इसे ‘सुपर मून’ कहते हैं। इस दौरान चांद हर दिन की तुलना में ज्यादा बड़ा और लगभग 30 प्रतिशत ज्यादा चमकीला नजर आता है।
अब बात करते हैं ब्लू मून की। सामान्यतः हर साल 12 पूर्णिमा होती हैं, लेकिन जब किसी साल में 13 पूर्णिमा हो जाती है, तो इसे ब्लू मून कहते हैं। 19 अगस्त को होने वाली यह घटना इसी ब्लू मून का हिस्सा है।
हम सभी जानते हैं कि चांद हर दिन एक जैसा नहीं दिखाई देता। कभी यह आधा, कभी पूर्ण और कभी बिल्कुल छोटा दिखता है। चांद के ये अलग-अलग चरण एक चक्र के रूप में होते हैं, जो लगभग 29.5 दिन का होता है। इसी कारण हर साल लगभग 12 पूर्णिमा होती हैं। लेकिन हर 2.5 से 3 साल में एक अतिरिक्त 13वीं पूर्णिमा हो जाती है, जिसे ‘ब्लू मून’ कहा जाता है।
ब्लू मून का नाम सुनकर लगता है कि चांद नीला नजर आएगा, लेकिन ऐसा नहीं है। आमतौर पर ब्लू मून का रंग चांदी जैसा ही होता है। हां, अगर किसी समय पर ज्वालामुखी विस्फोट हो जाए, तो वातावरण में फैली राख चांद की रोशनी को नीला दिखा सकती है।
अगर रक्षाबंधन के दिन कोई बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट हो जाए, तो चांद का रंग नीला दिख सकता है। यह तब होता है जब विस्फोट से निकलने वाली राख वातावरण में फैलकर एक फिल्टर की तरह काम करती है। ये छोटे-छोटे कण लाल रोशनी को बिखेरते हैं, जिससे चांद हमें नीला दिखाई देता है।
नासा के अनुसार, 1883 में इंडोनेशिया में क्राकाटोआ नामक ज्वालामुखी फटा था। इससे इतनी ज्यादा राख फैली कि चांद नीला दिखने लगा। इसके बाद 1983 में मैक्सिको में ‘एल चिचोन’ ज्वालामुखी, 1980 में ‘माउंट सेंट हेलेंस’ और 1991 में ‘माउंट पिनातुबो’ के विस्फोटों के बाद भी लोगों ने ब्लू मून का अद्भुत नजारा देखा।
हालांकि, इस बार नीला चांद दिखने की संभावना बहुत कम है क्योंकि इसके लिए एक बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट होना जरूरी है। फिर भी, ब्लू मून खगोलीय घटनाओं में एक दुर्लभ घटना है और इसे देखना अपने आप में खास होता है।
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