मुंबई। शिवसेना के दो गुट में बंटने के बाद शिंदे एवं उद्धव गुट का लगातार यही प्रयास है कि, शिवसेना समर्थकों को यह भरोसा दिलाया जा सके कि बाल ठाकरे के विचारों पर चलने वाली शिवसेना उन्ही की है। इस खींचतान के चलते भाजपा ने शिंदे की ओर से बड़ा पैंतरा खेल दिया है जिसके […]
मुंबई। शिवसेना के दो गुट में बंटने के बाद शिंदे एवं उद्धव गुट का लगातार यही प्रयास है कि, शिवसेना समर्थकों को यह भरोसा दिलाया जा सके कि बाल ठाकरे के विचारों पर चलने वाली शिवसेना उन्ही की है। इस खींचतान के चलते भाजपा ने शिंदे की ओर से बड़ा पैंतरा खेल दिया है जिसके माध्यम से कहीं न कहीं शिवसेना समर्थकों को शिंदे गुट की ओर आकर्षित किया जा सकता है। भाजपा के इस पैंतरे से शायद उद्धव गुट की नींदें उड़ गई होंगी।
पीएम मोदी ने रविवार को नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग को पहले चरण का उद्घाटन किया है साथ ही इसका नाम शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के नाम पर रखा गया है। एक्सपर्ट का मानना है कि, बाल ठकारे की विरासत की जंग में भाजपा और शिंदे की जोड़ी ने इसमे एक नया कदम उठाया है। हम आपको बता दें कि नामकरण का पहला प्रस्ताव उद्धव ठाकरे के कार्यकाल में ही उठाया गया था, जो पारित भी हुआ था। लेकिन बाजी भाजपा के हाथ लग गई।
समृद्धि महामार्ग के नामकरण को लेकर इसके पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है। नागपुर-मुंबई कॉरिडोर के प्रोजेक्ट का ख्याल देवेंद्र फडणवीस का ही बताया जा रहा है। 2014 और 2019 के बीच मुख्यमंत्री के रूप मे अपने कार्यकाल में इस परियोजना को आगे बढ़ाया। दूसरी तरफ लोक निर्माण मंत्री के रूप मे एकनाथ शिंदे ने 2018 में फडणवीस को यह प्रस्ताव दिया था कि, समृद्धि महामार्ग को बाल ठाकरेका नाम दिया जाए। इसके बाद जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाडी ने अपने पदभार संभाला तो इस प्रस्ताव का पालन करते हुए दिसंबर 2019 में औपचारिक रूप से बाल ठाकरे के नाम पर मार्ग का नामकरण करने का प्रस्ताव पारित किया।