BJP vs Congress: देश की 41 फीसदी आबादी पर BJ P का राज, तीन राज्यों पर सिमटी कांग्रेस

नई दिल्लीः मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनावों में जीत के साथ भाजपा अब देश की 41 फीसदी से ज्यादा आबादी पर राज करेगी, जबकि दूसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस राजस्थान व छत्तीसगढ़ में हार के बाद तीन राज्यों में सिमट गई है। वहीं, दिल्ली व पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) […]

Advertisement
BJP vs Congress: देश की 41 फीसदी आबादी पर BJ P का राज, तीन राज्यों पर सिमटी कांग्रेस

Sachin Kumar

  • December 4, 2023 9:57 am Asia/KolkataIST, Updated 12 months ago

नई दिल्लीः मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनावों में जीत के साथ भाजपा अब देश की 41 फीसदी से ज्यादा आबादी पर राज करेगी, जबकि दूसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस राजस्थान व छत्तीसगढ़ में हार के बाद तीन राज्यों में सिमट गई है। वहीं, दिल्ली व पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) राष्ट्रीय पार्टियों में तीसरे स्थान पर है। कांग्रेस सिर्फ कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश व तेलंगाना में अपने बूते सत्ता में है। बिहार व झारखंड में वह सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है। तमिलनाडु में कांग्रेस की सहयोगी डीएमके सत्ता में है पर वह सरकार में मौजूद नहीं है।

आप दूसरा सबसे बड़ा विपक्षी दल

देश में वर्तमान में छह राष्ट्रीय पार्टियां हैं, भाजपा, कांग्रेस, बसपा, सीपीआई (एम), नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और आप। ताजा नतीजों के बाद आप दूसरा सबसे बड़ा विपक्षी दल बन जाएगा। आप नेता जैसमीन शाह ने सोशल मीडिया पर बताया कि पंजाब और दिल्ली में सरकार के साथ आप उत्तर भारत में सबसे बड़ा विपक्षी दल बन कर सामने आया है।

भाजपा की जीत के सबसे बड़े कारण PM मोदी

नतीजों ने साफ कर दिया कि पीएम नरेंद्र मोदी की जनता में गहरी छाप है। भाजपा की जीत की सबसे बड़ी वजह पीएम मोदी हैं। वह पार्टी का चेहरा थे। पार्टी ने अलग-अलग क्षेत्रों के अनुसार व्यूहरचना बनाई। स्थानीय व राष्ट्रीय मुद्दों के लिए अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी। चेहरा विशेष पर नाराजगी से बचने के लिए सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा। इसके उलट, कांग्रेस नेताओं में मतभेद, अहंकार और मुद्दाें व रणनीति पर भ्रम रहा।

विपक्षी गठबंधन को सहेजने के बजाय खुद राहुल गांधी विपक्ष का चेहरा बनने की कोशिश करते नजर आए। राजस्थान में गहलोत व पायलट ने हाथ तो मिलाए, पर दिल नहीं मिले। पार्टी नेतृत्व अंत तक गहलोत से नाराज रहा, तो मप्र में कमलनाथ ने नेतृत्व को भाव ही नहीं दिया। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के भरोसे बैठी रही, जिनके ओबीसी मोह ने आदिवासियों को पार्टी से दूर कर दिया। वहीं, तेलंगाना में रेवंत रेड्डी को फ्री-हैंड मिला, तो पार्टी वहां जीत हासिल करने में कामयाब रही।

 

यह भी पढ़ें – http://MP election result 2023: किसी के खाते में लाखों वोट आए तो किसी के खाते में रहे कम, जानिए प्रदेश की छोटी बड़ी जीत

Advertisement