जम्मू कश्मीर में भाजपा के समर्थन वापस लेने के साथ ही बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. J&K में राष्ट्रपति शासन लगने की तैयार हो चुकी है. कांग्रेस पार्टी ने महबूबा को समर्थन देने से इंकार कर दिया है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा है कि घाटी में बोलने की आजादी खतरे में पड़ गई है.
श्रीनगर. जम्मू कश्मीर में बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को इस्तीफा दे दिया है. राज्य में विधायकों की संख्या का जो दलगत समीकरण है उसमें किसी भी पार्टी या गठबंधन की सरकार बनने के आसार ना के बराबर हैं. मतलब साफ है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की जमीन तैयार हो चुकी है.
राष्ट्रपति शासन की संभावना कितनी ज्यादा है और बीजेपी इसको लेकर कितनी आश्वस्त है इसकी नुमाइश प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष रवीन्दर रैना के बयान से हुई जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था फेल हो गई थी और अब आतंकियों को ठोकेंगे.
89 सदस्यों की विधानसभा में 2 नॉमिनेटेड मेंबर के अलावा 87 सदस्य होते हैं जिनका चुनाव होता है. इन 87 में पीडीपी के 28, बीजेपी के 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस के 15, कांग्रेस के 12, सीपीएम 1, पीडीएफ 1 और दूसरी पार्टियों और निर्दलीय 5 विधायक हैं.
पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस एक-दूसरे की कट्टर विरोधी हैं इसलिए ये एक साथ सरकार नहीं बना सकतीं और बीजेपी का साथ भी कोई नहीं दे सकता. कांग्रेस ने महबूबा को समर्थन देने से मना कर दिया है. ऐसे में राज्य में राष्ट्रपति शासन का रास्ता खुल गया है और सरकार गिराने के फैसले में बीजेपी की दिली चाहत भी यही रही होगी.
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