‘यह गांधी की नहीं नेहरू की कांग्रेस’, प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से कांग्रेस के बहिष्कार पर बीजेपी का हमला

नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का कांग्रेस की तरफ से बहिष्कार किए जाने को लेकर बीजेपी ने तीखा हमला बोला है। बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने गुरुवार (11 जनवरी) को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कांग्रेस नकारात्मक राजनीति करती है और वो हर चीज का बहिष्कार कर रही है। उन्होंने कहा कि ये गांधी (महात्मा गांधी) की नहीं नेहरू (जवाहरलाल नेहरू) की कांग्रेस है। सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि किसी भी अच्छे से अच्छे अनुष्ठान में बाधा उत्पन्न करके संतोष प्राप्त करने वाली प्रवृत्ति की परिचायक कांग्रेस के साथ पता नहीं ऐसी कौन सी समस्या है।

‘नेहरू नहीं गए थे सोमनाथ की प्राण प्रतिष्ठा में’

कांग्रेस पार्टी के इतिहास का ज़िक्र करते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि इंदिरा गांधी के जमाने में कारसेवकों पर गोलियां चलीं। राजीव गांधी के जमाने और पीवी नरसिम्हा के जमाने में क्या क्या नहीं हुआ और सोनिया गांधी के दौर में तो राम काल्पनिक हो गए। उन्होंने कहा यह कांग्रेस की संस्कृति और राम के मंदिर का विरोध भी उसी का एक हिस्सा है। जवाहर लाल नेहरू का जिक्र करते हुए त्रिवेदी ने कहा कि जब सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, तो जवाहरलाल नेहरू जी ने 24 अप्रैल, 1951 को उस वक्त सौराष्ट्र के प्रमुख को लिखा था कि इस कठिन समय में इस कार्यक्रम के लिए दिल्ली से मेरा आना संभव नहीं है।

कांग्रेस नहीं होगी शामिल

इस बीच खबर सामने आई है कि कांग्रेस आलाकमान ने कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन समेत सभी कांग्रेस नेता इस कार्यक्रम से दूरी बनाकर रखेंगे। कांग्रेस ने एक बयान जारी कर कहा है कि ये कार्यक्रम भारतीय जनता पार्टी ने राजनीतिक लाभ के लिए आयोजित किया है।

फैसले से पार्टी नेताओं में असंतोष

कांग्रेस ने राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है. कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले का वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने विरोध किया. गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक अर्जुन मोढवाडिया ने इसे हटाने के आलाकमान के फैसले की आलोचना की. उन्होंने अपने पोस्ट में कांग्रेस नेता जयराम रमेश को टैग करते हुए कहा कि भगवान राम हमारे आदर्श हैं. ये लोगों की आस्था और विश्वास का सवाल है. कांग्रेस को राम मंदिर को लेकर कोई राजनीतिक फैसला नहीं लेना चाहिए.

Arpit Shukla

पत्रकारिता में 2 वर्ष का अनुभव। राजनीति, खेल और साहित्य में रुचि। twitter- @JournoArpit

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