नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में अपना डेब्यू भाषण दिया. अमित शाह ने पिछली सरकार (UPA) पर निशाना साधते हुए कहा, ‘विरासत में हमें बहुत बड़ा गड्ढा मिला था. हमारी सरकार का ज्यादातर समय पिछली सरकार के गड्ढे भरने में लगा. देशवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए हमें जनादेश मिला था. हमारी सरकार ने जनधन योजना, उज्जवला योजना, सौभाग्य योजना, मुद्रा योजना सहित कई योजनाओं की शुरूआत की. जिसका नतीजा है कि हमारी साढ़े तीन साल की सरकार में वह सब काम हुए जो देश में पिछले 60 वर्षों से नहीं हुए.’
राज्यसभा में भाषण के दौरान अमित शाह ने पकौड़े बेचे जाने पर पीएम नरेंद्र मोदी और सरकार का मजाक उड़ाए जाने पर कहा, ‘पकौड़े बेचना शर्म की बात नहीं है. बेरोजगारी से अच्छा है कि युवा पकौड़े बेचे लेकिन कांग्रेस पकौड़े बेचे जाने का मजाक उड़ा रही है. यह शर्मनाक है. आज एक चाय वाले का बेटा देश का प्रधानमंत्री बन गया, क्या यह कांग्रेस में संभव है?’ उन्होंने कहा कि 2013 में देश की जो स्थिति थी, उसे याद करने की जरूरत है. देश में विकास की गति काफी गिरी हुई थी, महिलाएं देश में सुरक्षित नहीं थीं. सीमा की रक्षा करने वाले जवान सरकार के अनिर्णय के कारण कुछ कर नहीं पा रहे थे. आज स्थिति बदल चुकी है.
अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने अपने अभिभाषण में कई विषयों पर अपनी बात कही. कई लोग इस पर विश्लेषण भी करते हैं, उसका स्वागत है लेकिन उसे अलग दृष्टिकोण से देखना चाहिए. अमित शाह ने आगे कहा, ‘देश में 30 वर्षों के बाद गैरकांग्रेसी सरकार पूरे बहुमत के साथ आई है. हमारी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला, लेकिन उसके बावजूद भी हमने NDA की अगुवाई में सरकार बनाई. जब मोदी जी को सदन का नेता चुना गया, उस दौरान उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार गरीबों की सरकार होगी. ये सरकार गांधी और दीनदयाल के सपनों को पूरा करने में आगे बढ़ रही है. शाह ने आगे कहा कि बीजेपी ने कभी जीएसटी का विरोध नहीं किया था मगर इसके तरीकों का विरोध किया था. UPA यह कर सुधार लेकर आई. सेस घटाने से राज्यों को नुकसान हुआ वह UPA को चुकाना था पर नहीं चुकाया, 37 हजार करोड़ NDA ने चुकाया.
अमित शाह ने देश में एक चुनाव की पैरवी करते हुए कहा कि देश में सभी चुनाव एक साथ होने चाहिए. पंचायत से लेकर संसद के चुनाव अगर एक साथ होते हैं तो काफी खर्च में भी बचत होगी और बार-बार लागू की होने वाली आचार संहिता से विकास की बाधा भी समाप्त होगी. बताते चलें कि इससे पहले शीतकालीन सत्र में जीएसटी पर चर्चा के दौरान अमित शाह को भाषण देना था, लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण वह भाषण नहीं दे पाए.
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