नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को मुख्य विपक्ष कांग्रेस से किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय दलों की मजबूती भाजपा को चुनौती दे सकती है। हम आपको बता दें कि देश भर की सभी लोकसभा सीटों में 350 सीटें ऐसी हैं जहां पर भाजपा को क्षेत्रीय दलों से मुकाबला […]
नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को मुख्य विपक्ष कांग्रेस से किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय दलों की मजबूती भाजपा को चुनौती दे सकती है। हम आपको बता दें कि देश भर की सभी लोकसभा सीटों में 350 सीटें ऐसी हैं जहां पर भाजपा को क्षेत्रीय दलों से मुकाबला करना पड़ सकता है। इनमे से कुछ दल तो ऐसे हैं जिन्हे राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता तो मिल चुकी है लेकिन उनकी भूमिका अपने राज्य से बाहर न के बराबर ही है।
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के आगे क्षेत्रीय दलों के आने की उम्मीद है, भले ही कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभा रही हो लेकिन भाजपा के समक्ष मुख्य खतरा क्षेत्रीय दल हैं जिनसे मुकाबला करने के लिए भाजपा को अहम रणनीति तैयार करनी होगी। इन दलों में मुख्य रूप से बसपा, सपा, सीपीएम, सीपीआई, वाईएसआरसीपी, राजद, शिवसेना, बीजद, तृणमूल कांग्रेस, बीआरएस, एनसीपी, आम आदमी पार्टी और जेएमएम हैं।
इन सभी दलों का अपने क्षेत्र में वर्चस्व है, साथ ही लगभग सभी दल भाजपा के प्रतिद्वंदी भी हैं। इन दलों से पार पाने के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को अहम रणनीति बनाकर ही मैदान में उतरना होगा।
2023 में नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को हाथ आजमाना है, इन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में लोकसभा चुनाव की रणनीति को ध्यान में रखते हुए ही मैदान में उतरना होगा। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 543 सीटों में मात्र 52 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी, जबकि क्षेत्रीय दलों ने मुख्य विपक्ष की भूमिका में बैठी कांग्रेस से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया। ऐसे में भाजपा की नज़रे कांग्रेस से ज्यादा क्षेत्रीय दलों पर रहेंगी।