नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में शनिवार को भाजपा ने प्रत्याशियों की पांचवीं सूची जारी की। इस सूची में बीजेपी ने 92 उम्मीदवारों को चुनावी म में उतारा। राज्य के कुल 230 सीटों में से बाजेपी ने पांच लिस्ट जारी कर अब तक 228 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है। लेकिन बीजेपी की पांचवीं लिस्ट देखकर राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों को काफी हैरानी हुई है। बता दें कि भाजपा ने उम्र और परिवार को लेकर एक नियम बनाया था। यह नियम बाकी के चार सूचियों में देखने को मिले भी लेकिन पांचवीं लिस्ट ने सबको हैरान कर दिया। आइए ईपको बताते हैं इसके मायने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के कई दिग्गज नेता परिवारवाद के खिलाफ खुलकर बोलते हैं। वहीं भाजपा बुजुर्ग नेताओं की जगह नए चेहरों को भी राजीनति में मौका देने के लिए जानी जाती है। इससे पहले भाजपा ने उम्र का हवाला देकर भाजपा ने कई दिग्गजों को चुनाव का टिकट नहीं दिया था। लेकिन मध्य प्रदेश में पार्टी ने इन दोनों नियमों को लेकर नरम रुख अपनाया है। पार्टी ने नियमों को दरकिनार कर चुनावी मैदान में पुराने खिलाड़ियों के साथ-साथ एक परिवार के दो लोगों को भी टिकट दिया है।
बीजेपी ने पांचवीं सूची में दमोह विधानसभा सीट से जयंत मलैया को टिकट दिया है। बता दें कि मलैया इस सीट से छह बार विधायक रह चुके हैं। साल 2018 के चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा था। बता दें कि उनकी उम्र 76 साल है। बता दें कि साल 2018 के चुनाव में भाजपा ने माया सिंह को टिकट नहीं दिया था। लेकिन इस बार पार्टी ने उनको ग्वालियर पूर्व सीट से टिकट दिया है। माया सिंह 74 साल के हैं। भाजपा ने 73 वर्षीय सीतासरन शर्मा को होशंगाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा 80 वर्षीय नागेंद्र सिंह को भी इस बार टिकट दिया गया है। बता दें कि नागेंद्र सिंह साल 2018 के चुनाव में हार गए थे।
अब तक जारी का गई चार सूची में किसी भी नेता के बच्चों को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र भी लिखा था। आकाश ने नड्डा से टिकट दिए जाने पर विचार नहीं करने के लिए अनुरोध किया था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पार्टी ‘बल्ला कांड’ से नाराज थी। लेकिन पांचवीं लिस्ट में बाजेपी ने गौरी शंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन को टिकट दिया। इसके अलावा भाजपा ने मंत्री विजय शाह के भाई संजय शाह को भी प्रत्याशी बनाया है।
सियासत के जानकारों का मानना है कि 17 नवंबर को होने जा रहे मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। साल 2018 के चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को सफलता नहीं मिली। ऐसे में भाजपा मध्य प्रदेश में सरकार रिपीट करने की रणनीति बना रही है। बता दें कि इस साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इनमें से मध्य प्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावी नताजे अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। ऐसे में बीजेपी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाने के प्लान पर काम कर रही है।
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