नई दिल्ली। दिल्ली के एमसीडी चुनावों में हार के बाद अपनी 15 साल पुरानी सत्ता गंवाने के दुख को कम करने के लिए भाजपा को ऐसा समीकरण हाथ लगा है जिससे वह सुकून महसूस कर सकती है. इससे भाजपा को आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में बढ़त मिलने के आसार दिखाई दे रहे हैं। क्या वाकई […]
नई दिल्ली। दिल्ली के एमसीडी चुनावों में हार के बाद अपनी 15 साल पुरानी सत्ता गंवाने के दुख को कम करने के लिए भाजपा को ऐसा समीकरण हाथ लगा है जिससे वह सुकून महसूस कर सकती है. इससे भाजपा को आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में बढ़त मिलने के आसार दिखाई दे रहे हैं।
क्या वाकई में इस मंत्र के सहारे भाजपा आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में पहले से बेहतरीन प्रदर्शन कर पाने में सक्षम होगी।
भले ही भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली नगर निगम चुनावों में हार हुई है लेकिन इस हार में भी भाजपा ने उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं बल्कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में बढ़त की उम्मीद के साथ इस हार का ग़म कम कर रही है।
हम आपको बता दें कि, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि, अगर आज की स्थिति में दिल्ली विधानसभा चुनाव हो और मतदाता वोट करने का यही पैटर्न रखें तो 70 विधानसभा सीटों वाले दिल्ली में भाजपा को 24 सीटें मिल सकती हैं। जो कि पिछले चुनाव की तुलना में 16 सीट ज्यादा है। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी मात्र 41 सीटों पर ही सिमट जाएगी जो कि, पिछले चुनाव की अपेक्षा 21 सीटें कम है।
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मात्र 8 सीटें ही जीती थीं जबकि आम आदमी पार्टी को 62 सीटों पर जीत मिली थी। 2015 के चुनाव में आप को 2020 में हुए चुनाव के मुकाबले पांच सीटें अधिक प्राप्त हुई थीं। पिछले दिनों हुए एमसीडी चुनाव में कुल वोटंग 50.48 फीसदी हुई जो कि, 2017 में हुए मतदान से कम है हालांकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत 62.59 प्रतिशत रहा था।
भाजपा ने 2017 की तुलना में इस बार हुए एमसीडी चुनाव में अपने वोट शेयर में 3 प्रतिशत की वृद्धि की है। भाजपा को कुल 36.08 फीसदी वोट शेयर ही हासिल हुए हैं, हालांकि 2017 दिल्ली नगर निगम के तीन निगमों में अलग-अलग चुनाव हुए थे। भाजापा के इम्प्रीत बख्शी ने एक चैनल को बताया कि, एमसीडी चुनाव में उनके वोट शेयर का बढ़ना इस बात का सबूत है कि अगले विधानसभा चुनाव में आप का सूपड़ा साफ हो जाएगा।