भारतीय लोकतंत्र और विपक्ष के लिए 2019 लोकसभा चुनाव आखिरी मौका: अरुण शौरी

भाजपा की सरकार में पूर्व मंत्री और नरेंद्र मोदी सरकार के मुखर विरोधी अरुण शौरी ने एक बार फिर बीजेपी पर निशाना साधा है. एक इंटरव्यू देते हुए अरुण शौरी ने कहा है कि अगर विपक्ष भविष्य में देश में लोकतंत्र के अधिकारों को बचाना और पारदर्शिता से चुनाव चाहता तो 2019 के लोकसभा चुनाव आखिरी मौका है. अगर 2019 चुनाव विपक्ष हार गया तो समझिए देश में फिर कभी पूरी पारदर्शिता के साथ चुनाव नहीं होगा.

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भारतीय लोकतंत्र और विपक्ष के लिए 2019 लोकसभा चुनाव आखिरी मौका: अरुण शौरी

Aanchal Pandey

  • September 2, 2018 8:57 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. बीजेपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री अरुण शौरी ने एक बार फिर देश की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है. अगर देश के लोकतांत्रिक अधिकारों के भविष्य और पूरी तरह स्वात्रंत और पारदर्शिता के साथ चुनावों की बात करते हुए अरुण शौरी ने कहा कि अगर विपक्ष 2019 में जीत चाहता है तो विपक्षी दलों को आम चुनाव में हर एक लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ 1 कॉमन कैंडिडेट खड़ा करना होगा.

बीते शनिवार को द वायर के साथ इंटरव्यू देते हुए अरुण शौरी ने कहा कि यह सिर्फ एक मिथ है कि विपक्ष के पास नरेंद्र मोदी जैसा पॉपुलर नेता नहीं है जो देश की कमान संभाल पाए. उन्होंने कहा कि लोग पूछते हैं कि नरेंद्र मोदी का विकल्प क्या राहुल गांधी हैं, ममता बनर्जी हैं लेकिन वो कभी ये नहीं पूछते की साल 1977 में इमरजेंसी के बाद जब इंदिरा गांधी को हार मिली थी तो उस दौरान उनका विकल्प कौन था. क्या वो जगजीवन राम, एच एन बहुगुणा, चरण सिंह, मोरारजी देसाई थे.

आगे अरुण शौरी ने कहा कि लोग दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की तुलना जवाहर लाल नेहरु से की जाती थी. तो साल 2004 में अटल जी का विकल्प कौन था, क्या वो सोनिया गांधी थीं या मनमोहन सिंह थे? इसके बावजूद भी 2004 में बीजेपी को हार मिली. वहीं जब अरुण शौरी से विपक्ष के लिए कोई सलाह के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सबसे पहले विपक्ष अपने पुराने तर्क और क्रोध को पीछे छोड़ दे और आने वाले चुनाव में हर एक सीट पर बीजेपी के खिलाफ विपक्ष मिलकर 1 उम्मीदवार सामने उतारें.

इसके साथ ही अरुण शौरी ने विपक्ष को सलाह के रूप में चेतावनी देते हुए कहा कि कृप्या समझिए की अगर आने वाले चुनाव आप लोग हार जाते हैं तो कभी कोई चुनाव आगे नहीं आएगा. इस हमले को रोकने का यह आखिरी मौका विपक्ष के पास है. अगर हम इस तरह के विचारों की वजह से 2019 लोकसभा में मौका खो देते हैं तो दोस्त, उसके बाद पूरी तरह पारदर्शी चुनाव की उम्मीद मत करना है.

इसके साथ ही अरुण शौरी ने कहा कि विपक्ष को दो अंकों को याद रखने की खास जरूरत है, पहला 31-69 और दूसरा 60-90. उन्होंने आगे कहा कि साल 2014 में नरेंद्र मोदी को 31 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि वर्तमान में यह आंकड़ा पहले कम हो गया है. ऐसे में विपक्ष के पास वोट बटोरने के लिए 69प्रतिशत वोट मिलेंगी. वहीं 60-90 अंकों के बारे में उन्होंने कहा कि यह जोड़ा एक अनुस्मारक है कि नरेंद्र मोदी ने 90 प्रतिशत सीटें उन राज्यों से जीती हैं जो लोकसभा में 60 प्रतिशत हिस्सा देती हैं. ऐसे में अगर विपक्ष इन तीन राज्यों बिहार, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में मजबूती लाता है तो मोदी को चुनाव जीतना बेहद मुश्किल हो सकता है.

वहीं जब अरुण शौरी से मोदी सरकार के अभी तक घोटाला मुक्त होने पर बोला गया तो उन्होंने राफेल डील को लेकर काफी बाते की. अरुण शौरी का सोचना है कि राफेल मामले पर सरकार अपना बचाव कर रही है और वहीं मीडिया भी गलत कार्यों पर आरोप सिद्ध करने में विफल साबित रही है. इसके साथ ही अरुण शौरी ने कहा कि भ्रष्टाचार सिर्फ पैसों की अदला बदली नहीं होती है. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार किसी भी रूप में हो सकता है चाहे वह न्याय में हो, विचारधारा में हो, इतिहास में हो या समाज में.

इसके साथ ही अरुण शौरी ने कहा कि नरेंद्र मोदी औऱ अमित शाह 2019 लोकसभा चुनावों के असली मु्द्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में हुई 5 एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी का तार भी इससे जुड़ता नजर आ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कोई दूसरा रास्ता मोदी और शाह के पास चुनाव में जीतने का है तो वह हिंदु-मुस्लिम लोगों का विभाजन है.

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