2019 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए संघ बीजेपी नेताओँ और अपने अन्य घटक दलों के साथ मीटिंग करने जा रहा है. इस बैठक में बीजेपी के मिशन फतह को जारी रखने के बारे में मंथन किया जाएगा. संघ प्रमुख मोहन भागवत, अमित शाह और संघ के अन्य पदाधिकारी सरकार की नीतियों के नफा नुकसान के बारे में मंथन करेंगे.
उज्जैन. मध्य प्रदेश के उज्जैन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की दो दिवसीय समन्वय बैठक शुरू हो रही है. इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और संघ के शीर्ष पदाधिकारियों के शामिल होने की संभावना है. बताया जा रहा है कि यह बैठक मुख्य तौर पर 2019 में भाजपा की जीत की रणनीति पर विचार विमर्श के लिए की जा रही है. संघ के सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में भारतीय मजदूर संघ, भारतीय ग्राहक पंचायत व स्वदेशी जागरण मंडल जैसे संघ के घटक दल भी शामिल होंगे जोकि सरकार की नीतियों के बारे में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे. एक तरह से ये संघ परिवार के कोर ग्रुप की मीटिंग है.
सूत्रों के मुताबिक, 2019 का लोकसभा चुनाव आने ही वाला है ऐसे में संघ सरकार की खूबियों और खामियों के बारे में जानकारी जुटाकर बीजेपी के लिए माहौल तैयार करने का काम करेगा. मार्च में मोदी सरकार को बजट भी पेश करना है ऐसे में वोटरों को देखते हुए बजट पर भी चर्चा की जाएगी. देश की आर्थिक और राजनीतिक माहौल पर चर्चा के बाद पार्टी के लिए नीतियां तैयार करने के बारे में मंथन किया जाएगा.
बता दें कि गुजरात चुनाव में भले ही भाजपा चुनाव जीत गई है लेकिन यह जीत यूपी जैसी जीत का माहौल तैयार नहीं कर पाई. गुजरात में कांग्रेस की सीटें बढ़ने के कारण पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी उत्साह में हैं और लगातार सत्ता विरोधी माहौल तैयार करने में लगे हैं. ऐसे में बैठक में कांग्रेस की गुजरात में बढ़त पर भी मंथन किया जाएगा. गुजरात चुनाव में बीजेपी लगातार छठी बार सत्ता में आई है. जीएसटी और नोटबंदी जैसे मोदी सरकार के कड़क फैसलों से जनता का क्या रुख रहा इसके बारे में भी बैठक में मंथन किया जाएगा.
2014 से केंद्र में मोदी लहर के सहारे केंद्र की सत्ता में लौटी बीजेपी के लिए गुजरात चुनाव के नतीजों ने नीतियों पर विचार करने के लिए विवश कर दिया है. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद लगातार मिशन फतह कर रही बीजेपी 2019 के चुनावों के लिए किस तरह की रणनीतियां बनाएगी उसके पहलुओं पर बैठक में विचार किया जाएगा. साथ ही संघ स्वयं भी ग्रामीण इलाकों में अपनी पैठ बनाएगा. आगामी चुनावों में रोजगार विपक्ष के पास सबसे बड़ा मुद्दा होगा.