नई दिल्ली/गांधीनगर: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में 11 दोषियों की वक्त से पहले जेल से रिहाई के फैसले को सोमवार को रद्द कर दिया. बिलकिस बानो (Bilkis Bano On Supreme Court Order) ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर खुशी जताई है. उन्होंने कहा है कि आज सचमुच मेरे लिए नया साल […]
नई दिल्ली/गांधीनगर: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में 11 दोषियों की वक्त से पहले जेल से रिहाई के फैसले को सोमवार को रद्द कर दिया. बिलकिस बानो (Bilkis Bano On Supreme Court Order) ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर खुशी जताई है. उन्होंने कहा है कि आज सचमुच मेरे लिए नया साल है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि जैसे पहाड़ के जितना बड़ा पत्थर मेरे सीने से हट गया है और मैं फिर से सांस ले सकती हूं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए बिलकिस बानो (Bilkis Bano On Supreme Court Order) ने कहा कि मैं डेढ़ साल से ज्यादा समय में पहली बार मुस्कुराई हूं और अपने बच्चों को गले लगाया है. बिलकिस ने मेरे साथ मेरे पति और मेरे बच्चे हैं, और ऐसे दोस्त हैं जिन्होंने नफरत के समय भी मुझे बहुत प्यार दिया और हर मुश्किल मोड़ पर मेरा हाथ थामा. इसके साथ ही उन्होंने अपनी एडवोकेट शोभा गुप्ता के बारे में कहा कि शोभा गुप्ता 20 से ज्यादा वर्षों तक मेरे साथ अटूट रूप से चलीं और मुझे न्याय के बारे में कभी उम्मीद नहीं खोने दी. इसके अलावा बिलकिस ने सभी को धन्यवाद दिया, जिन्होंने इस लड़ाई में उनका साथ दिया.
गुजरात में 3 मार्च 2002 को दंगे में दंगाइयों ने बिसकिस, उसकी मां और तीन अन्य महिलाओं के साथ रेप किया था. इसके बाद उन्होंने बिलकिस के परिवार के 17 लोगों में से 7 की हत्या कर दी. इस दौरान परिवार के 6 लोग लापता हो गए, जो कभी नहीं मिले. इस हमले में सिर्फ बिलकिस और दो अन्य ही जिंदा बचे थे. जिसके बाद बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों को साल 2004 में गिरफ्तार किया गया था. जनवरी 2008 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई.
लेकिन इस बीच गुजरात सरकार ने 15 अगस्त 2022 को बिलकिस रेप केस (Bilkis Bano Case) के सभी दोषियों को रिहा कर दिया था. जिसके बाद बिसकिस ने सुप्रीम कोर्ट में गैंगरेप के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को दो याचिका दायर की थी. पहली याचिका में दोषियों की रिहाई को चुनौती दी गई थी और उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की गई थी. वहीं, दूसरी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर विचार करने की मांग की गई थी, जिसमें अदालत ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात की सरकार करेगी. इसी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया.
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