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Bilkis Bano : गैंगरेप और 7 लोगों की हत्या फिर भी दोषी रिहा? जानिए कैसे

नई दिल्ली : एक बार फिर साल 2002 के गुजरात दंगों का बिलकिस बानो कैसे सुर्खियों में आ गया है. दंगों के दौरान एक ही परिवार के 7 लोगों की हत्या और गैंगरेप करने के मामले में उम्रकैद पाने वाले 11 दोषियों को रिहाई मिल गई है. गुजरात सरकार ने दोषियों की रिहाई का फैसला […]

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Bilkis Bano : गैंगरेप और 7 लोगों की हत्या फिर भी दोषी रिहा? जानिए कैसे
  • August 16, 2022 6:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : एक बार फिर साल 2002 के गुजरात दंगों का बिलकिस बानो कैसे सुर्खियों में आ गया है. दंगों के दौरान एक ही परिवार के 7 लोगों की हत्या और गैंगरेप करने के मामले में उम्रकैद पाने वाले 11 दोषियों को रिहाई मिल गई है. गुजरात सरकार ने दोषियों की रिहाई का फैसला लिया है. आपको बता दें, सीआरपीसी की धारा 432 के तहत राज्य सरकार किसी मामले में दोषियों की सजा में छूट या सजा माफ़ कर सकती है जिसे तहत बिलकिस बानो केस के दोषियों को 2008 में उम्रकैद की सजा के बाद भी रिहाई मिल गई.

लंबी लड़ाई के बाद मिला था न्याय

2002 में गुजरात के गोधरा दंगों में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप का मामला सबसे भयावह घटनाओं में से एक थी. इस दौरान उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. साल 2004 में मामले के सभी दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. एक लंबी लड़ाई के बाद 2008 में सीबीआई कोर्ट ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. जहां एक आरोपी की ट्रायल के दौरान मौत तक हो गई थी. जबकि, बाकी 7 आरोपियों को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया था. दोषियों की सजा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी टालने से मना कर दिया था.

सभी दोषी रिहा

इन सभी 11 दोषियों में से एक राधेश्याम शाह ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने यहां रिहाई की अपील की थी. उस समय गुजरात हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि रिहाई का फैसला महाराष्ट्र सरकार का है. इसके बाद राधेश्याम ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया जहां साल 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को रिहाई पर अपना फैसला देने के लिए 2 महीनों का समय दिया था. इस दौरान एक कमेटी गठित की गई जो इस केस पर चर्चा कर सके और 15 अगस्त को सभी दोषियों को रिहाई दे दी गई.

रिहाई की मांग कर सकता है दोषी?

– सीआरपीसी की धारा 432 और 433 के तहत राधेश्याम शाह ने सजा माफी के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. क्योंकि इस पूरे मामले का ट्रायल मुंबई में हुआ, इसलिए हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी और कहा कि इस पर फैसला महाराष्ट्र सरकार ले सकती है.

– इसके बाद राधेश्याम शाह सुप्रीम कोर्ट गया. सर्वोच्च न्यायलय ने कहा कि अपराध गुजरात में हुआ था, इसलिए दोषियों की रिहाई पर फैसला केवल गुजरात सरकार ही ले सकती है. इसके बाद एक कमेटी ने दोषियों की रिहाई पर फैसला लिया और दोषियों को रिहा कर दिया गया.

– सीआरपीसी की धारा 432 के तहत राज्य सरकार किसी मामले में दोषी की सजा माफ़ कर सकती है. इतना ही नहीं सरकार को अधिकार है कि वह दोषी की सजा कम भी कर सकती है. शर्तों के साथ सरकार दोषी को या बिना किसी शर्त के भी रिहा कर सकती है. वहीं, धारा 433 के तहत किसी दोषी की सजा कम कर सकती है.

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