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Bilkis Bano Case : 11 कैदियों की रिहाई के विरोध में, सवा सौ नौकरशाहों ने लिखा CJI को पत्र

नई दिल्ली : बिलकिस बानो केस में उम्र कैद की सजा काट रहे 11 कैदियों की समयपूर्व रिहाई ने पूरे देश के आगे सवाल खड़े कर दिए. गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ अब अलग-अलग मंचो से विरोध की आवाज उठने लगी है. अब इस केस में कुल 134 पूर्व नौकरशाहों ने गुजरात सरकार […]

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  • August 27, 2022 11:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : बिलकिस बानो केस में उम्र कैद की सजा काट रहे 11 कैदियों की समयपूर्व रिहाई ने पूरे देश के आगे सवाल खड़े कर दिए. गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ अब अलग-अलग मंचो से विरोध की आवाज उठने लगी है. अब इस केस में कुल 134 पूर्व नौकरशाहों ने गुजरात सरकार के इस फैसले की खिलाफत की है. देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के नाम उन्होंने खुला पत्र लिखा है और न्याय करने की गुहार लगाई है.

बताया एक भयानक और गलत निर्णय

इन सभी 134 पूर्व सिविल सेवकों ने पत्र में बिलकिस बानो से गैंग रेप और उसके परिजनों की हत्या करने वाले दोषियों के खिलाफ गुजरात सरकार के समयपूर्व रिहाई वाले फैसले को गलत बताया है. 134 पूर्व सिविल सेवकों के इस पत्र में 11 लोगों की समयपूर्व रिहाई को ‘भयानक गलत फैसला’ करार दिया गया है. CJI को पत्र लिखने वाले इन पूर्व सिविल सेवकों की लिस्ट में दिल्ली के पूर्व राज्यपाल नजीब जंग, वजाहत हबीबुल्ला, हर्ष मंदर, जूलियो रिबेरो, अरुणा रॉय, जी. बालचंद्रन, राशेल चटर्जी, नितिन देसाई, एच. एस. गुजराल और मीना गुप्ता के नाम शामिल हैं.

फैसले से निराश

पूर्व नौकरशाहों के इस पत्र में कहा गया है कि वे गुजरात सरकार के इस फैसले से बेहद निराश हैं. इस फैसले के जरिए सरकार एक जघन्य अपराध के दोषियों को रिहा कर चुकी है. पत्र में कहा गया है कि मामले के दोषी काफी प्रभावशाली व्यक्ति थे. ऐसे में उस वक्त निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए इस केस को गुजरात से मुंबई की सीबीआई विशेष अदालत में ट्रांसफर करना पड़ा था.

दुर्लभ केस में मिला दंड

पत्र में नौकरशाहों ने इस बात का भी ज़िक्र किया है कि यह एक ऐसा दुर्लभ मामला था जिसमें बलात्कारियों और हत्यारों को दंडित किया गया था. इसके अलावा ऐसे कई मामले थे जिसमें पुलिसकर्मियों और डॉक्टरों ने भी आरोपियों को बचाया और पीड़िता को न्याय नहीं मिला. कैदियों को रिहाई देना काफी निराशाजनक है.

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