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Bilkis Bano Case: BJP पर भड़के ओवैसी, बिलकिस की रक्षा नहीं कर सकी, उल्टे उसके दोषियों को रिहा कर दिया

नई दिल्ली/गांधीनगर: बिलकिस बानो गैंगरेप मामले (Bilkis Bano Case) में 11 दोषियों की वक्त से पहले जेल से रिहाई के फैसले को सोमवार (8 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार को दोषियों की रिहाई का फैसला लेने का अधिकार नहीं है. वहीं, इस पूरे मामले पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) का बयान आया है. उन्होंने कहा कि जो गुजरात सरकार बिलकिस की रक्षा नहीं कर सकी, उल्टे उन दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया जिन्होंने उसके साथ दुष्कर्म किया.

क्या कहा ओवैसी ने?

बिलकिस बानो मामले पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि बीजेपी पीड़ित के साथ खड़े होने के बजाय हमेशा इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले अपराधियों के साथ खड़ी रही है. यह बिलकिस बानो ही हैं जिन्होंने इतनी बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपनी जान की बाजी भी लगा दी. ओवैसी ने आगे कहा कि वही गुजरात सरकार जो उसकी रक्षा नहीं कर सकी, उसने इन दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया जिन्होंने उसके साथ बलात्कार किया और उसके बच्चे को मार डाला. इसी के साथ एआईएमआईएम अध्यक्ष ने कहा कि सभी बलात्कारियों को एक कड़ा संदेश भेजा जाना चाहिए, चाहे वे किसी भी राजनीतिक विचारधारा के हों. वे उनके (बीजेपी) हैं, इसलिए उन्हें कोई छूट नहीं दी जाएगी.

क्या है बिलकिस बानो केस?

गुजरात में 3 मार्च 2002 को दंगे में दंगाइयों ने बिसकिस, उसकी मां और तीन अन्य महिलाओं के साथ रेप किया था. इसके बाद उन्होंने बिलकिस के परिवार के 17 लोगों में से 7 की हत्या कर दी. इस दौरान परिवार के 6 लोग लापता हो गए, जो कभी नहीं मिले. इस हमले में सिर्फ बिलकिस और दो अन्य ही जिंदा बचे थे. जिसके बाद बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों को साल 2004 में गिरफ्तार किया गया था. जनवरी 2008 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई.

गुजरात सरकार ने किया था रिहा

लेकिन इस बीच गुजरात सरकार ने 15 अगस्त 2022 को बिलकिस रेप केस (Bilkis Bano Case) के सभी दोषियों को रिहा कर दिया था. जिसके बाद बिसकिस ने सुप्रीम कोर्ट में गैंगरेप के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को दो याचिका दायर की थी. पहली याचिका में दोषियों की रिहाई को चुनौती दी गई थी और उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की गई थी. वहीं, दूसरी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर विचार करने की मांग की गई थी, जिसमें अदालत ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात की सरकार करेगी. इसी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया.


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Manisha Singh

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