खुले में शौच के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का बिहार सरकार का अजीबो-गरीब तरीका शिक्षकों के गले नहीं उतर रहा है. शिक्षकों ने बिहार सरकार के खुले में शौच करने वालों के साथ सेल्फी लेने के फैसले का शिक्षकों ने विरोध करना शुरू कर दिया है.
पटनाः सूबे के सभी ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर (बीईओ) की तरफ से जारी खुले में शौच करने वालों का फोटो लेने के आदेश का शिक्षकों का विरोध किया है. हालांकि शिक्षकों के एसोशिएसन ने कहा कि वे खुले में शौच मुक्त अभियान का समर्थन करते हैं लेकिन ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर द्वारा दिए गए निर्देश का पालन कर पाना मुश्किल है क्योंकि ये शिक्षकों का अपमान है. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव व पूर्व एमपी सत्रुघन प्रसाद सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखी चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने बिहार सरकार के इस आदेश को वापस लेने की बात कही है जिसके चलते शिक्षकों को सुबह शाम गांवों में जाना पड़ता है जिससे उनके बाकी काम प्रभावित होते हैं.
बता दें कि 18 नवंबर को कुंडनी के बीडीओ हरिमोहन कुमार सिंह ने आदेश जारी करते हुए कहा था कि शिक्षक गांव वालों को पंचायत के दौरान खुले में शौच से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को जागरूक करें इसके साथ ही वे खुले में शौच करने वालों के साथ सेल्फी भी पोस्ट करें. सुबह का समय 6 से 7 व शाम को 6 से 7 का समय निर्धारित किया गया था.
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों पर छात्रों को पढ़ाने के अलावा भी काफी काम होता है. उनके पास वोटर लिस्ट बनाने से लेकर जनगणना तक का काम होता है. इतना ही नहीं, कई बार शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी और खेल संबंधी कार्यों से भी जोड़ दिया जाता है. इन्हीं जिम्मेदारियों के साथ अब उन पर खुले में शौच करने वालों की निगरानी करना काफी मुश्किल फैसला जान पड़ता है.
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