पटना: हुनर किसी पहचान की मोहताज नहीं होता है, वे अपनी पहचान खुद बना ही लेते हैं. आज हम एक ऐसे ही मूकबधिर लड़की के बारे में बताएंगे, जो बिहार के गया जिले के अति नक्सल प्रभावित इमामगंज प्रखंड क्षेत्र के कुनकुरैई गांव की रहने वाली 18 वर्षीय स्वीटी मूकबधिर है. इसके हाथों में इस […]
पटना: हुनर किसी पहचान की मोहताज नहीं होता है, वे अपनी पहचान खुद बना ही लेते हैं. आज हम एक ऐसे ही मूकबधिर लड़की के बारे में बताएंगे, जो बिहार के गया जिले के अति नक्सल प्रभावित इमामगंज प्रखंड क्षेत्र के कुनकुरैई गांव की रहने वाली 18 वर्षीय स्वीटी मूकबधिर है. इसके हाथों में इस तरह का जादू है कि सामने वाले की तस्वीर दस मिनट में हूबहू किसी पन्ने पर उतार सकती है।
कुनकुरैई के रहने वाली स्वीटी के पास हुनर तो है, लेकिन गरीबी के वजह से स्वीटी के हाथों का जादू निखर नहीं पा रहा है. स्वीटी को बचपन से ही ड्रॉइंग और पेंटिंग करना बेहद पंसद है. परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से स्वीटी कहीं प्रशिक्षण नहीं ले सकी और खूद के बलबूते आज पोट्रेट पेंटिंग बनाती है. स्वीटी के हाथों में इस तरह की जादू है कि कुछ ही मिनटों में सामने वाले की तस्वीर पेंसिल से उतार देती है. स्वीटी की मां नीलम देवी कहती हैं कि जब वह स्कूल जाया करती थी और छात्रवृत्ति का पैसा जब स्कूल में मिलता था तो उसी पैसे से स्वीटी पेंसिल और कागज खरीदकर अपने घर में तरह-तरह की पेंटिंग बनाती थी. स्वीटी को बचपन से ही पेंटिंग बनाने का रुचि है और आज स्वीटी कुछ मिनट में किसी की भी तस्वीर बना लेती है।
नीलम देवी कहती है कि बेटी स्वीटी अब पेंटिंग और आर्ट में अपना कैरियर का सपना देख रही है. स्वीटी इशारों-इशारों में कहती है कि वह बाहर जाकर पैसे कमाने की बात करती है. नीलम देवी का कहना है कि अगर स्वीटी को किसी तरह की कुछ सहायता मिल जाती तो इसके कला में और निखार आ जाता. आने वाले समय में पोर्ट्रेट पेंटिंग में अपने देश का नाम रोशन करती।
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