पटना: लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद सवाल खड़ा हो रहा है कि उनके निधन से खाली हुई राज्यसभा सीट का क्या होगा? क्या बीजेपी ये सीट एलजेपी को वापस देगी या फिर अपना उम्मीदवार उतारेगी? बिहार की इस इकलौता राज्यसभा सीट पर 14 दिसंबर को उपचुनाव होना है लेकिन सस्पेंस अब भी बरकार है कि रामविलास पासवान की जगह कौन राज्यसभा जाएगा. बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एलजेपी ने जिस तरीके से सीएम नीतीश कुमार को टार्गेट किया है उसे देखते हुए माना जा रहा है कि बीजेपी जेडीयू से दुश्मनी मोल नहीं लेगी और अपना ही उम्मीदवार उतारेगी.
जेडीयू के समर्थन के बिना एनडीए के लिए यह सीट जीतना भी मुश्किल है लिहाजा एलजेपी की राहें मुश्किल नजर आती है. दूसरी तरफ एलजेपी के सामने बड़ा संकट ये है कि उसके पास सिर्फ एक विधायक है और उसके लिए राज्यसभा सीट जीतना तो दूर की बात पांच प्रस्तावक तक अपने बलबूते पर खड़े करना मुश्किल है.
चुनाव के बाद जेडीयू नेता एलजेपी से खासे नाराज हैं. उनका मानना है कि एलजेपी की वजह से जेडीयू की सीटें घटी है इसलिए एलजेपी को एनडीए से बाहर ही रहना चाहिए. जेडीयू के अशोक चौधरी, वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि एलजेपी प्रत्याशी के चलते भागलपुर विधानसभा सीट पर जेडीयू को हार का मुंह देखना पड़ा और जेडीयू को कई सीटों पर एलजेपी की वजह से ही नुकसान हुआ.
जेडीयू के तल्ख तेवरों को देखते हुए माना जा रहा है कि बीजेपी किसी भी हालत में जेडीयू को नाराज नहीं करेगी और अपना ही उम्मीदवार उतारेगी. यही नहीं, बीजेपी के सामने ये भी चुनौती होगी कि जो भी उम्मीदवार राज्यसभा उम्मीदवार उतारा जाए उसमें जेडीयू और बीजेपी दोनों की रजामंदी शामिल हो.
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