नई दिल्लीः बिहार में इस वक्त तीन पार्टी जदयू, राजद और भाजपा के बीच घमासान मचा हुआ है। सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर राजद को चौंकाते हुए भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार है। इस बात का संकेत उन्होंने शनिवार यानी 27 जनवरी को भाजपा नेता अश्विनी चौवे के साथ बक्सर में […]
नई दिल्लीः बिहार में इस वक्त तीन पार्टी जदयू, राजद और भाजपा के बीच घमासान मचा हुआ है। सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर राजद को चौंकाते हुए भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार है। इस बात का संकेत उन्होंने शनिवार यानी 27 जनवरी को भाजपा नेता अश्विनी चौवे के साथ बक्सर में दिया है। उनके इस कदम को लेकर विरोधी लगातार उनपर हमलावर है। उनके पुराने साथी रहे प्रशांत किशोर ने उनपर निशाना साधा है। हालांकि भाजपा उनपर हमला करने से बच रही है लेकिन राजद को निशाने पर जरुर ले रही है।
जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा कि नीतीश कुमार एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और कहेंगे कि मेरी अंतरात्मा कह रही है कि अब इन लोगों के साथ नहीं रहेंगे। सब लोग एकजुट हुए नहीं, मैंने कहा था कि सब लोग एकजुट हो जाइए नहीं हुए तो अब क्या करें ? अब फिर से भाजपा में जा रहे हैं। नीतीश कुमार इस तरह की राजनीति करते रहते हैं।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार महागठबंधन अगस्त में बनाए थे। उससे पहले मार्च में दिल्ली आकर मेरे साथ घंटों बैठे थे। पटना में भी मिले थे, वो सिर्फ इसलिए आरजेडी के साथ गए, क्योंकि उनके दिमाग में ये बात आ गई थी कि 2024 के लोकसभा के चुनाव के बाद अगर भाजपा देश में जीत जाएगी तो राजद हमको हटाकर अपना मुख्यमंत्री बना देंगी। जयूद के 42 विधायक थे और भाजपा का 75। तो इसी डर से इन्होंने सोचा कि भाजपा हमको हटाए इससे पहले हम खुद महागठबंधन बना लेते हैं कम से कम 2025 तक कुर्सी बची रहेगी। सहूलियत के हिसाब से इतना बताया जा सकता है कि नीतीश कुमार की अपनी जो सहूलियत होगी जिसमें उन्हें अपना स्वार्थ दिखेगा उस दिशा में वो जाएंगे।
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