पटना : हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस पर विवादित बयान देने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर अभी भी अपने बयान पर अड़े हुए हैं. जहां एक ओर उनके माफ़ी मांगने की मांग की जा रही है वहीं दूसरी ओर उन्होंने एक और विवादित बयान दे दिया है. दरअसल शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का कहना है कि वह अपने बयान पर कायम रहेंगे. उनका कहना है कि माफ़ी तो उन लोगों को मांगनी चाहिए जिन्होंने अन्याय किया है.
गहरे विवाद के बाद भी उनका माफ़ी ना मांगना कई पार्टियों को उन्हें घेरने के लिए दावत दे सकता है. पहले ही देश के संत उनपर 10 करोड़ का इनाम रख चुके हैं. दरअसल तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा है कि जो कोई भी शिक्षा मंत्री की जीभ उन्हें लाकर देगा वह उसे 10 करोड़ रुपए देंगे. इसके अलावा राजनीतिक पार्टियों ने उन्हें घेरना भी शुरू कर दिया है. हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने उनके इस बयान को लेकर ट्वीट किया था. अब देखना ये है कि बवाल बढ़ने के साथ भी क्या राज्य शिक्षा मंत्री अपने इस बवाली बयान पर अड़े रहेंगे?
गौरतलब है कि बुधवार को शिक्षा मंत्री विश्वविद्यालय में पहुंचे थे. जहां उन्होंने छात्रों को अपना संबोधन दिया था. इसी दौरान उन्होंने ये विवादित बयान दिया था. दरअसल शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सभागार में मौजूद हजारों की तादाद में छात्र छात्राओं को संबोधित कर रहे थे. इसी बीच उन्होने कहा कि भारत सशक्त और समृद्ध मोहब्बत से बनेगा, नफरत से नहीं। देश में 6 हजार से अधिक जातियां मौजूद हैं साथ ही जितनी जातियां हैं, उतनी ही नफरत की दीवार भी है. जब तक ये समाज में रहेंगी तब तक भारत विश्व गुरु नहीं बन सकता है.
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने आगे कहा कि संघ नागपुर से जुड़े लोग समाज में नफरत फैलाते हैं वो लोग समाज में मोहब्बत फैलाने के लिए निकले हुए हैं. इसके बाद शिक्षा मंत्री ने अपने संबोधन के दौरान रामचरितमानस के कई दोहों को पढ़ते हुए कहा कि यह (रामचरितमानस) समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है.
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